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पश्चिमी देशों के साथ चीन के संबंध लगातार खराब हो रहे हैं। इसका असर चीन की अर्थव्यवस्था पर देखने को मिल रहा है। चीनी अर्थव्यवस्था की रफ्तार लगातार धीमी पड़ती जा रही है। वहीं, भारत के संबंध दुनिया के देशों से बेहतर होने से भारतीय अर्थव्यवस्था को फायदा मिल रहा है। वर्ल्ड बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक ने ये बात कही है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों और चीन के बीच बढ़ती खाई को देखते हुए भारत वैश्विक स्तर पर अच्छी स्थिति में है। दुनिया की कई दिग्गज कंपनियां चीन से कारोबार समेट कर भारत की ओर रुख कर रही है। इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि भारत को खास बनाने वाले तीनों स्तंभ- लोकतंत्र, स्वतंत्र मीडिया एवं धर्मनिरपेक्षता को देश पकड़े रहेगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर सम्मेलन का आयोजन
कॉर्नेल विश्वविद्यालय में 13-14 अक्टूबर को भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक बड़े सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। इसमें इन्फोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के पूर्व अध्यक्ष नौशाद फोर्ब्स के सार्वजनिक व्याख्यान होंगे। कॉर्नेल विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बसु ने कहा कि दुनिया इस समय महामारी के बाद की आर्थिक और सामाजिक अनिश्चितताओं से गुजर रही है। बसु ने कहा कि पिछली सदी में आजाद हुए कई देशों में से भारत अपने लोकतंत्र, स्वतंत्र मीडिया और धर्मनिरपेक्षता के लिए खड़ा रहा है। उन्होंने कहा, इनसे आर्थिक वृद्धि के लिए बुनियाद तैयार होती है। उम्मीद करते हैं कि भारत को विशेष बनाने वाले इन राजनीतिक स्तंभों को थामकर रखने की समझदारी राष्ट्र के पास बनी रहेगी।
भारत का अनुमान बढ़ाया, चीन का घटाया
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मजबूत मांग के कारण भारत के लिए अपना 2023-24 का जीडीपी अनुमान बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है। वहीं चीन की विकास दर घटाकर 5 प्रतिशत कर दी है। आईएमएफ ने अपने वार्षिक प्रकाशन वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में यह जानकारी दी। आपको बता दें कि आईएमएफ ने जुलाई में इस वर्ष के लिए भारत के लिए अपना विकास पूर्वानुमान 20 आधार अंक बढ़ाकर 6.1 प्रतिशत कर दिया था और अब इसे दूसरी बार बढ़ाया है। आईएमएफ ने रियल एस्टेट क्षेत्र में गिरावट का हवाला देते हुए चीन के लिए विकास पूर्वानुमान को 2023 के लिए 20 आधार अंक घटाकर 5 प्रतिशत और 2024 के लिए 30 आधार अंक घटाकर 4.2 प्रतिशत कर दिया।
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