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फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का फायदा उठाने वाली 48 फर्जी कंपनियों के गठजोड़ का भंडाफोड़ हुआ है। जीएसटी विभाग के अधिकारियों ने 199 करोड़ रुपये से ज्यादा का यह मामला पकड़ा है। वित्त मंत्रालय ने बीते मंगलवार को बताया कि इस संबंध में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। भाषा की खबर के मुताबिक, केंद्रीय माल एवं सेवा कर (सीजीएसटी) के पूर्वी दिल्ली कमिश्नर ऑफिस ने जुटाई खुफिया जानकारी के आधार पर नकली बिल बनाने वालों के खिलाफ ‘ऑपरेशन क्लीन स्वीप’ शुरू किया था।
फर्जी बिल के आधार पर काम कर रही थीं कंपनियां
खबर के मुताबिक, मंत्रालय ने कहा कि इस कैम्पेन में 199 करोड़ रुपये से ज्यादा की फर्जी आईटीसी का फायदा उठाने वाली 48 फर्जी कंपनियों के गठजोड़ का पता चला। ऑपरेशन में कुल 48 नकली/फर्जी कंपनियों (बिना अस्तित्व की या कागजी) की पहचान की गई है, जो फर्जी बिल के आधार पर काम कर रही थीं। गिरफ्तार किए गए तीन लोगों को बाद में मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट, पटियाला हाउस द्वारा दो सप्ताह के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। मंत्रालय ने कहा कि गठजोड़ के दूसरे सदस्यों और सरगनाओं की पहचान कर ली गई है और आगे की जांच की जा रही है।
पकड़े गए शख्स में एक जो मेसर्स एम.के. का मालिक
ऑपरेशन क्लीन स्वीप के तहत पकड़े गए शख्स में से एक जो मेसर्स एम.के. का मालिक निकला। व्यापारियों ने 5 करोड़ रुपये से ज्यादा का फर्जी आईटीसी का बेनिफिट उठाया था, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा दूसरे जुड़े लिंक पर भेज दिया गया था। पकड़े गए अन्य दो व्यक्ति सिंडिकेट को सहायता और बढ़ावा दे रहे थे और सिंडिकेट के कामकाज में सहायक थे। ऑपरेशन के दौरान 55 अलग-अलग फर्मों से संबंधित टिकटें, कई सिम कार्ड और आधार कार्ड जैसे दस्तावेज और तीसरे पक्ष से संबंधित बिजली बिल सहित आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई।
खबर के मुताबिक, पूरा ऑपरेशन दुर्गम इलाकों में चलाया गया, जिसमें दिल्ली की संकरी गलियां और संवेदनशील इलाके शामिल थे। जीएसटी विभाग के अधिकारियों ने कहा कि यह ऑपरेशन सिर्फ दिल्ली पुलिस के सहयोग के चलते संभव हो सका, जिसने जीएसटी अधिकारियों की सहायता के लिए पर्याप्त पुलिस कर्मियों को तैनात किया।
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