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मुश्किल वक्त में ‘अपनों’ की बेरुखी और भी दुखदायी होती है। पाकिस्तान (Pakistan Crisis) से ज्यादा यह बात और कौन समझ सकता है। गंभीर आर्थिक संकट (Economic Crisis) के बीच पड़ौसी देश पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार (Pakistan Forex Reserve) किसी बच्चे की गुल्लक जितना बचा है। देश के पास पेट्रोल डीजल आयात करने लायक पर्याप्त डॉलर की कमी है। इस विकासशील देश के लिए देश में विदेशी मुद्रा का एक महत्वपूर्ण जरिया, अमेरिका सहित अन्य देशों में रह रहे पाकिस्तानियों द्वारा भेजा जाने वाला धन भी होता है। लेकिन इस मुश्किल दौर में लगता है कि पाकिस्तान का साथ विदेशों में रहे उनके हमवतन साथियों ने भी छोड़ दिया है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार विदेशो से आने वाले रेमिटांस की मात्रा में बड़ी कमी दर्ज की गई है।
गैरकानूनी तरीके अपनाने से हुआ नुकसान
गहरे आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को विदेश में रहने वाले अपने नागरिकों की तरफ से गैरकानूनी तरीकों से धन भेजे जाने से वित्त वर्ष 2022-23 में चार अरब डॉलर से भी अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है। पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक एसबीपी ने धनप्रेषण के आंकड़े जारी करते हुए कहा है कि जून के महीने में विदेश से भेजी गई राशि मई की तुलना में चार प्रतिशत बढ़कर 2.18 अरब डॉलर हो गई। हालांकि जून, 2022 के 2.8 अरब डॉलर की तुलना में इस राशि में 22 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई है।
पाकिस्तान को मिले 27.02 अरब डॉलर
पाकिस्तानी समाचारपत्र ‘द डॉन’ में मंगलवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में पाकिस्तान को विदेशों से कुल 27.02 अरब डॉलर रकम भेजी गई जो एक साल पहले के 31.27 अरब डॉलर की तुलना में 13.6 प्रतिशत कम है। हालांकि, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में 2022-23 में विदेश से प्रेषित रकम में 4.25 अरब डॉलर की बड़ी गिरावट के पीछे की कोई वजह नहीं बताई है। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि डॉलर की विनिमय दर को वास्तविक स्तर से नीचे रखने के सरकारी प्रयासों से बैंकिंग माध्यमों का इस्तेमाल घटा है।
पनप रहा अवैध करंसी कारोबार
पाकिस्तान सरकार ने डॉलर और पाकिस्तानी रुपये की विनिमय दर को बीते वित्त वर्ष की पहली छमाही में 220 रुपये के स्तर पर रखने की कोशिश की थी जो नुकसानदेह साबित हुई। खुले बाजार में डॉलर के मजबूत होने से एक तरह का अवैध विनिमय बाजार पैदा हो गया जिसमें डॉलर के मुकाबले 20-25 रुपये ऊंचा भाव मिल रहा था। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से राहत पैकेज पाने के लिए दबाव में आई सरकार ने आखिरकार फरवरी में विनिमय दर पर लगी सीमा हटाई और यह देखते-ही-देखते 269 के भाव पर पहुंच गया। मई में यह 280-290 रुपये के दायरे में भी रहा।
विदेशी बाजार में पैसा लगा रहे हैं अनिवासी पाकिस्तानी
पाकिस्तान कुवैत इन्वेस्टमेंट कंपनी में शोध एवं विकास प्रमुख समीउल्ला तारिक ने कहा, ‘‘भाव में अंतर होने के अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंची ब्याज दरों ने भी प्रवासियों को बेहतर रिटर्न पाने का एक मौका दिया।’’ धनप्रेषण में चार अरब डॉलर से अधिक की गिरावट आना इस लिहाज से अहम है कि पाकिस्तान सरकार मुद्राकोष से तीन अरब डॉलर की राहत पाने के लिए लगातार कोशिशों में लगी रही है। जून के अंत में इस पर सहमति बन पाई है।
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