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भारत 2024 में अधिक कोयला आधारित बिजली परियोजनाएं स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। साथ ही सभी के लिए चौबीस घंटे बिजली आपूर्ति के लक्ष्य के वास्ते नवीकरणीय उत्पादन क्षमता भी बढ़ाता रहेगा। ताकि बढ़ती भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के इस दौर में आर्थिक विस्तार और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने अगले कुछ वर्षों में 7.28 लाख करोड़ रुपये के निवेश के साथ 91 गीगावॉट कोयला आधारित थर्मल बिजली उत्पादन क्षमता की योजना बनाई है। केंद्रीय बिजली तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने कहा, ‘चौबीस घंटे बिजली आपूर्ति उपभोक्ता का अधिकार है। इसी प्रकार ऊर्जा सुरक्षा हमारे लिए सर्वोपरि है। आपने देखा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोप में क्या हुआ।’
अभी कितने घंटे मिलती है बिजली?
उन्होंने कहा कि वर्तमान में पूरे भारत में शहरी क्षेत्रों में औसत बिजली आपूर्ति 23.50 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 22 घंटे है। सिंह ने कहा कि कोयला आधारित थर्मल पावर क्षमता देश को किसी भी भू-राजनीतिक व्यवधान से बचाएगी। साथ ही ऐसे समय में देश के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करेगी, जब हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से विस्तार कर रही है। देश में बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए कोयला आधारित क्षमता वृद्धि भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि सितंबर 2023 में बिजली की पीक मांग 243.27 गीगावॉट के सर्वकालिक उच्च स्तर पर थी।
426 गीगावॉट की बिजली उत्पादन क्षमता
भारत ने करीब 426 गीगावॉट की बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित की है, जिसमें 213 गीगावॉट से अधिक कोयला और लिग्नाइट-आधारित परियोजनाएं शामिल हैं। इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा था कि जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता निश्चित रूप से कम हो रही है। लेकिन जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा भी देश के लिए जरूरी है। राष्ट्रपति ने एक कार्यक्रम में कहा था, ‘स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भारत ने सदैव एक जिम्मेदार देश के रूप में काम किया है। भारत स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा दे रहा है, ताकि कोयला निष्कर्षण तथा उपयोग की प्रक्रिया अधिक कुशल व पर्यावरण अनुकूल बन सके।’ नवंबर 2022 में प्रकाशित 20वें इलेक्ट्रिक पावर सर्वे (ईपीएस) के अनुसार, देश में अधिकतम बिजली की मांग 2031-32 में 366.39 गीगावॉट, 2036-37 में 465.53 गीगावॉट और 2041-42 में 574.68 गीगावॉट तक पहुंच जाएगी।
नवीकरणीय ऊर्जा का भंडारण महंगा
सिंह ने कहा कि चौबीसों घंटे बिजली आपूर्ति के लिए अकेले नवीकरणीय ऊर्जा पर्याप्त क्यों नहीं हो सकती। सिंह ने कहा कि सौर ऊर्जा दिन में उपलब्ध है और हवा अलग-अलग समय पर चलती है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार नवीकरणीय ऊर्जा केवल ऊर्जा भंडारण के साथ चौबीसों घंटे बिजली प्रदान कर सकती है, जो वर्तमान में महंगी है। सिंह ने कहा कि मंत्रालय ने 91 गीगावॉट नई कोयला आधारित ताप विद्युत उत्पादन क्षमता की योजना बनाई है। इसमें से 27 गीगावॉट पर काम जारी है। करीब 31 गीगावॉट कोयला आधारित थर्मल क्षमता कार्यान्वयन के अंतिम चरण में है।
अतिरिक्त थर्मल पावर क्षमता की भी आवश्यकता
अडानी पावर के प्रबंध निदेशक एवं उद्योग निकाय भारतीय उद्योग संघ (सीआईआई) की नेशनल कमेटी ऑन पावर के चेयरमैन अनिल सरदाना ने कहा कि नवीकरणीय स्रोत ऊर्जा मिश्रण में केंद्रीय भूमिका निभाते रहेंगे। लेकिन उच्च बेस लोड मांग वृद्धि को पूरा करने के लिए अतिरिक्त थर्मल पावर क्षमता की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुसार, 2024 में अधिकतम बिजली की मांग 256 गीगावॉट से अधिक बढ़ने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि बिजली क्षेत्र, खासकर भारत में जटिल चुनौतियों का सामना कर रहा है। क्योंकि यह एक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में बहु-दशकीय वृद्धि तथा बदलाव के चौराहे पर खड़ा है। टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन के प्रवक्ता ने कहा कि यह संभव है कि ग्राहकों के पास भविष्य में अपना बिजली प्रदाता चुनने का विकल्प हो। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि यह निकट भविष्य में होगा या नहीं। राज्यों में बिजली बाजारों को एकीकृत करने पर पीटीसी इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक राजीब के.मिश्रा ने कहा कि प्रस्तावित ‘मार्केट कपलिंग मैकेनिज्म’ के कार्यान्वयन के साथ 2024 में इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति देखी जा सकती है।
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