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- मानसिक विकास में मदद करता है
- टेस्टोस्टेरोन कोबढ़ने में करता है मदद
- ज़िंक की कमी बनती है डायबिटीज का कारण
- पाचन तंत्रों को बनाता है मजबूत
- जिंक एक गुप्त संजीवनी
- फसलों के लिए भी जरूरी है जिंक की मात्रा
नवभारत डेस्क: भारत में प्राचीन काल से जिंक का महत्व सभी जानते हैं। एक तत्व के रूप में जिंक की पहचान से बहुत पहले ही इसका उपयोग पीतल बनाने और मेडिकल उपयोग में किया जाता था। आज लोहा, एल्यूमीनियम और तांबे के बाद जिंक दुनिया में चौथा सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला खनिज है। यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि खराब जिंक की खपत का खतरा दुनिया की आधी आबादी को प्रभावित कर रहा है।
मानसिक विकास में मदद करता है
पोषण के क्षेत्र में छोटे लेकिन बहुमुखी जिंक की ओर अक्सर किसी का ध्यान नहीं जाता जो मानव स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में अनिवार्य भूमिका निभा रहा है। साथ ही यह हमारे दैनिक जीवन में भोजन का एक अनिवार्य हिस्सा है। पर्याप्त मात्रा में जिंक से भरपूर आहार बच्चों में बचपन से ही शारीरिक और मानसिक विकास में मदद करता है। शोध से पता चला है कि मानव शरीर के सामान्य कामकाज के लिए जिंक बेहद आवश्यक है। यह खनिज न केवल वयस्कों बल्कि शिशुओं, बच्चों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है।
टेस्टोस्टेरोन कोबढ़ने में करता है मदद
आजकल कोविड-19 महामारी के बाद लोगों को जिंक सप्लीमेंट्स देना आम है। शोध से पता चला है कि एपिडर्मल, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, केंद्रीय तंत्रिका, प्रतिरक्षा और प्रजनन प्रणाली में कुछ रोग जिंक की कमी के कारण होते हैं। एक अनुमान के अनुसार 19% एशियाई लोग जिंक की कमी से पीड़ित हैं जबकि वैश्विक स्तर पर यह संख्या 17% से अधिक है। मानव शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाने में कुछ खनिज महत्वपूर्ण हैं। आहार में पर्याप्त जिंक का सेवन कर व्यक्ति स्वाभाविक रूप से शरीर के टेस्टोस्टेरोन को बढ़ा सकता है। इससे उसकी ऊर्जा, मनोदशा में वृद्धि होगी और शारीरिक प्रदर्शन में सुधार होता है।
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ज़िंक की कमी बनती है डायबिटीज का कारण
आंकड़ों के अनुसार भारत में करीब 101 मिलियन लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं वहीं 136 मिलियन लोग प्री-डायबिटिक स्टेज में हैं। डायबिटीज के कारणों में से एक जिंक की कमी भी है। पर्याप्त ZnT8 टाइप-2 डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करती है और इंसुलिन का सही उपयोग कर शरीर की सहायता करती है। भारत में (रतौंधी) अंधता भी एक बड़ी समस्या है। अंधेरा होने के बाद भी दृष्टि बनाए रखने में जिंक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह रोडोप्सिन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो आंख की रेटिना में एक वर्णक है। जिंक का पर्याप्त सेवन रोडोप्सिन के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है और रात्रि दृष्टि को बढ़ावा देता है। पोल्ट्री, बीन्स और नट्स जिंक से भरपूर खाद्य पदार्थों में से हैं जो स्वस्थ दृष्टि बनाए रखने में सहायता कर सकते हैं।
पाचन तंत्रों को बनाता है मजबूत
जब युवा पीढ़ी अपनी ग्लोइंग स्किन के प्रति सचेत रहती हैं तो जिंक के बारीक पोषक तत्व त्वचा को ताजा बनाए रखने में मदद करते हैं। यह सूखेपन को रोकता है और आकर्षक एपीरियंस में मदद करता है। इसमें सूजन रोकने के गुण होते हैं जो मुंहासे, एक्जिमा और सोरायसिस के इलाज में मदद करते हैं। जिंक सूजन को कम करता है और एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है। ऑक्सीडेटिव तनाव से लड़ता है और सूजन-रोधी तत्व को रोकता है। इसके अलावा लाभकारी बैक्टीरिया के विकास को जिंक बढ़ावा देता है जो संतुलित माइक्रोबायोम और स्वस्थ पाचन में योगदान देता है। आहार में जिंक युक्त खाद्य पदार्थ जैसे नट्स, बीज, लीन मीट और साबुत अनाज शामिल करने से आंत की सूजन को कम करने और स्वस्थ पाचन तंत्र को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।
जिंक एक गुप्त संजीवनी
आख़िर कौन अधिक समय तक युवा नहीं बने रहना चाहता? जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है। यहां जिंक एक गुप्त संजीवनी है। यह इम्यून कोशिकाओं को बढ़ाने में सहायक थाइमस ग्रंथि को सपोर्ट करता है। पर्याप्त जिंक इन्फ्लो स्वस्थ थाइमस ग्रंथि को मजबूत करता है और व्यक्ति को बीमारी से बचाते हुए उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकता है। इतने कई सकारात्मक गुणों के बावजूद जिंक की ओर अब भी कई लोगों द्वारा ध्यान नहीं दिया जाता। परिणामस्वरूप जनता में जागरूकता नहीं आ पाती। इस महत्वपूर्ण पोषक तत्व की कमी इसे संयुक्त राष्ट्र पोषक तत्व की प्राथमिकता सूची में शामिल करने को और अधिक महत्वपूर्ण बनाती है। विकासशील देशों में बेहतर पोषण के प्रयासों और संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में यह गलती हमेशा बाधक बनती है।
फसलों के लिए भी जरूरी है जिंक की मात्रा
अंततः कृषि क्षेत्र में जिंक की कमी से निपटने के लिए किसी भी दृष्टिकोण की सफलता मजबूत वकालत और शीर्ष स्तर की प्रतिबद्धता पर निर्भर करती है। पोषक तत्व के रूप में जिंक की कमी के साथ, इसका फसलों और मिट्टी का हिस्सा होना और भी महत्वपूर्ण है। यह भूमि और फसल के पोषण के लिए उर्वरक के रूप में जिंक के मिश्रण से प्रेरित है, जो बदले में भोजन के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश करेगा और जीवन चक्र के शुरुआती चरण में कमी का मुकाबला करेगा। इसके लिए एक मजबूत दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिसमें किसानों और मानव जाति के बीच जागरूकता पैदा करना शामिल है। यह राष्ट्रीय या क्षेत्रीय स्तर पर स्थिर बुनियादी ढांचे और उसकी पालना पर निर्भर करेगा जो हमारे स्वास्थ्य में जिंक की बहुमुखी भूमिका को प्रदर्शित करेगा। जिंक की क्षमता को पहचानना और अपनाना एक स्वस्थ और अधिक सक्रिय जीवन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
लेखक- डॉ. सौमित्र दास, निदेशक- दक्षिण एशिया, इंटरनेशनल जिंक एसोसिएशन में जिंक न्यूट्रिएंट इनिशिएटिव
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