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सत्यम कुमार/ भागलपुर. भागलपुर में एक निजी अस्पताल में डॉक्टर उस समय आश्चर्य चकित हो गए. जब दुर्लभ बीमारीका शिकार एक बच्चा उनके अस्पताल में पहुंचा. बहुत देर तक बच्चे को देखने के बाद डॉक्टरों को भी बीमारी का पता नहीं लग पा रहा था. हालांकि जब गहन जांच की गई तो पता चला कि यह एक दुर्लभ बीमारी है. जो 10 लाख बच्चों में से एक बच्चे में पाई जाती है. अक्सर यह बीमारी जापान में ज्यादा पाई जाती है. इस दुर्लभ बीमारी का नाम ‘मोयामोया’ है.
भागलपुर में इलाज नहीं है संभव
डॉक्टर ने जांच करने बाद कहा कि इसका उपचार भागलपुर में सम्भव नहीं है. जिसके बाद शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.अजय सिंह ने स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए बच्चे को पीएमसीएच रेफर कर दिया. अगर डॉ. अजय सिंह की मानें तो यह बीमारी दुर्लभ व खतरनाक जरूर है, लेकिन यह फैलने वाली बीमारी नहीं है. वहीं उन्होंने बताया कि यह पीढ़ी दर पीढ़ी उसमें पाई जा सकती है. इसका एक ही मात्र सर्जरी एक उपचार है.
क्या क्या है लक्षण
इस बीमारी को परख पाना थोड़ा मुश्किल है. क्योंकि अक्सर यह बीमारी छोटे बच्चे में पाई जाती है. बताया जाता है कि इसमें बोलना व खाना छोड़ देती है. धीरे धीरे चेहरे पर उदासी छाने लगती है. इसका मुख्य जांच ब्रेन के एंजियोग्राफी से होता है. उसके बाद ही बीमारी का पता लग पाता है.
यह ब्रेन से सम्बंधित बीमारी है
यह बीमारी खास कर 3 से 10 साल के बच्चे में अधिक दिखाई देता है. यह मुख्यतः ब्रेन के मुख्य रक्त वाहिनी यानी ब्लड वेसल की बीमारी है. इसमें रक्त वाहिनी की नली का सृजन होता है. धीरे धीरे सिकुड़ जाता है.
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Tags: Genetic diseases, Health News, Hindi news, Local18
FIRST PUBLISHED : July 24, 2023, 21:11 IST
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