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बदल गई है अयोध्या की फिजां…
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
यह आस्था का जुटान था। बेहिसाब जुटान। प्रशासन की गिनती का जैसे माप ही टूट गया। बाढ़ से टूटे बैराज की तरह लोग अयोध्या पहुंच गए। 22 तारीख को वीवीआईपी मूवमेंट की पाबंदियां जैसे ही खत्म हुईं अचानक से हाईवे ही नहीं गली-मोहल्लों से लोगों का सैलाब रामजन्मभूमि परिसर की ओर बढ़ने लगा। रायगंज में रहनेवाले बुजुर्ग पुरुषोत्तम कहते हैं, परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा, यही कहा था ना जब कारसेवक जुटे थे 1992 में। वैसी ही भीड़ फिर इकट्ठा होने लगी है। तब गुस्सा था, हिंसा थी। अब दीवानगी है, आस्था है।
दर्शन के लिए कई किमी तक पैदल यात्रा
हुआ यूं कि जब 22 जनवरी तक अयोध्या आने पर पाबंदी लगा दी गई, 19 जनवरी के बाद से रामलला के आम दर्शन भी बंद थे, लोग फिर भी अयोध्या आते रहे। ट्रेनों के रूट बदलते तो बसों से…बसें रोक दीं तो गाड़ियों से…गाड़ियां नहीं आने दीं तो पैदल ही।
- घनश्याम अपनी पत्नी, मां और गांव के 12 लोगों के साथ बिहार से आए हैं। दो दिन से एक संत के खुले आंगन में रह रहे थे। कितने किमी पैदल चलना पड़ा उनके पास इसका हिसाब तक नहीं। सिर पर गठरी लिए उनकी तरह न जाने कितने भक्त निकल पड़े हैं अयोध्या की ओर। बिप्लव चार दिन पहले ही बंगाल से यहां पहुंच गए थे।
- मंदिर के ठीक सामने वाली गली में एक लॉज में कमरा किराए से लिया था। दर्शन की लाइन तो सुबह 3 बजे से ही लग गई थी। 8,000 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी सिर्फ दर्शन के लिए लगाए गए थे। मुंबई से आए मनसुख भाई और उनके दोस्त सुबह छह बजे लाइन में लगे थे। 9.30 बजे वह दर्शन कर बाहर निकल पाए।
जहां रुके हैं वहां लौट जाएं
वैसे तो लोग 22 तारीख की शाम ही दर्शन की मुराद लेकर रामपथ जाम कर चुके थे। मंदिर के बाहर वाली सड़क पर रैपिड एक्शन फोर्स तैनात करना पड़ी। बेहिसाब भीड़ अयोध्या की कुछ वक्त पहले ही चौड़ी हुई सड़कों को चोक कर चुकी थीं। भीड़ के कान नहीं होते। फिर भी पुलिस लगातार लाउडस्पीकर पर अनाउंसमेंट कर रही थी जहां रुके हैं वहां लौट जाएं, दर्शन फिलहाल बंद हैं, लेकिन भीड़ ने तो रामलला को भोग आरती के लिए भी वक्त नहीं दिया।
भंडारों में 300 मीटर लंबी लाइन
तीन दिन पहले से अयोध्या में भंडारे होने लगे थे, लेकिन वहां खाने वाले ढूंढे नहीं मिल रहे थे। मठों-मंदिरों के शिष्य व सेवक ही लुत्फ उठा रहे थे। 23 तारीख की सुबह भंडारों में भी 300 मीटर लंबी लाइन थी। हनुमानगढ़ी में वीवीआईपी भक्तों व मंगलवार ने मिलाकर भक्तों की गिनती बिगाड़ दी। सीढ़ियों से तिराहे तक भक्त लाइन में खड़े थे।
मंदिरों ने अपने आंगन लोगों के लिए खोले
अब तक खंडहरों जैसी जूनी-पुरानी अयोध्या की इमारतों में चहलपहल लौट आई है। जिन देहरियों पर सन्नाटा होता था, वहां बाहर से आए यात्रियों की आवाजें आने लगी हैं। होटल-लॉज फुल हैं। मठों-मंदिरों ने अपने आंगन खोल दिए हैं। अयोध्या वाले मेहमानों के लिए अतिरिक्त बिस्तर-राशन जुटाए बैठे हैं। अब कुछ दिन बालक राम ज्यादा वक्त दर्शन देंगे। आखिर बेहिसाब भक्ति का सवाल जो है।
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