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चुनाव में राजे की भूमिका को लेकर सवाल।
– फोटो : Amar Ujala Digital
विस्तार
भाजपा चुनाव से पहले समिति का गठन कर चुकी है। प्रदेश में गुटबाजी को स्पष्ट संदेश मिल गया है क्योंकि अब पूरा संगठन प्रधानमंत्री के साथ खड़ा नजर आ रहा है। ऐसे में प्रदेश में कोई भी और गुट किसी के भी समर्थन में खड़ा हुआ तो मुकाबला सीधे पीएम से होगा। वसुंधरा राजे को किसी समिति में जगह नहीं मिली है, राजे क्या सिर्फ स्टार प्रचारक रहेंगी, क्या राजे प्रचार करेंगी? ये अब एक बड़ा सवाल बना हुआ है।
विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। चुनाव होने में 100 दिन के आसपास ही बचे हैं और प्रदेश के दोनों ही प्रमुख दल अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में लगे हैं। आगामी चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर ही भाजपा ने 17 अगस्त को संकल्प समिति और चुनाव प्रबंधन समिति का ऐलान कर पूरे प्रदेश को चौंका दिया।
राजस्थान भाजपा में निरंतर चली आ रही गुटबाजी पर इस फैसले से विराम लगा जाएगा या फिर और मुखर होकर दो गुट नजर आने लगेंगे, ये देखना अभी बाकी है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम किसी भी समिति में नहीं होना एक विस्मित करने वाला फैसला था। इस बीच एक बात स्पष्ट है कि प्रदेश में पूरा संगठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़ा है। अब अगर कोई भी नया गुट बनता है तो उसका मुक़ाबला सीधे प्रधानमंत्री मोदी के साथ होगा।
हालांकि कुछ राजे समर्थक अभी भी किसी और समिति के आने का इंतजार कर रहे हैं, परन्तु प्रदेश के आलाकमान का स्पष्ट रूप से संदेश है कि जो होना है वो हो चुका है। यानी कोई भी समिति या कमेटी अब नहीं आएगी।
क्या भूमिका होगी राजे की 2023 में
अगर कोई भी समिति नहीं आएगी तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की क्या भूमिका होगी?
इस सवाल के जवाब में कल प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने कहा था कि राजे हमारी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और पार्टी के लिए प्रचार करेंगी। पार्टी जो भी काम कहेगी वो हम सब मिलकर करेंगे और एक ही लक्ष्य के साथ मैदान में उतरेंगे। भाजपा की सत्ता वापसी का लक्ष्य। प्रदेश प्रभारी के इस बयान से तो स्पष्ट है कि वसुंधरा राजे भाजपा की स्टार प्रचारक होंगी और पार्टी का प्रचार करेंगी, परंतु सवाल यहां पर यह उठता है कि क्या राजे बिना किसी बड़ी जिम्मेदारी के प्रचार के लिए जाएंगी?
संगठन के किसी आयोजन में नहीं पहुंचीं राजे
पिछले चार साल का ही इतिहास देखें तो यह साफ़ नजर आता है कि संगठन के किसी भी बड़े धरना प्रदर्शन या आयोजन में राजे नहीं पहुंची हैं। हाल ही में हुए महाघेराव में भी राजे ने सिर्फ ट्वीट कर ही काम चलाया था, जबकि प्रधानमंत्री खुद महा घेराव को लेकर काफी उत्साहित और संजीदा थे। राजे की मौजूदगी सिर्फ वहीं रही है, जहां राष्ट्रीय स्तर के नेता पहुंचे हैं, जिसका प्रमाण है 17 अगस्त की कोर कमेटी की बैठक। सब मौजूद थे राजे नहीं आईं।
क्या राजे प्रचार करने जाएंगी? नहीं गई तो क्या भाजपा सत्ता में वापसी कर पाएगी?
यह प्रमुख सवाल है अगर राजे भाजपा की परिवर्तन यात्रा से दूरी बना लेती हैं तो क्या भाजपा सत्ता वापसी कर पाएगी। प्रदेश में दो गुट हैं। एक संगठन के साथ, जिसकी संगठन के साथ नोकझोंक चलती रहती है पर वो संगठन को इग्नोर करने की स्थिति में नहीं है। दूसरा गुट राजे समर्थकों का है जो सिर्फ राजे के साथ चलते हैं। अब चूंकि प्रधानमंत्री खुद अपना गुट बना रहे हैं तो क्या राजे समर्थक अभी वहीं रहेंगे या प्रधानमंत्री के साथ दिखाई देंगे। ये प्रदेश में भाजपा की स्थिति को साफ करेगा।
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