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रिपोर्ट- कृष्णा कुमार गौड़
जोधपुर. भारत-पाकिस्तान को जोड़ने वाली थार एक्सप्रेस फिर से शुरू करने की मांग जोर पकड़ रही है. इस बार पाकिस्तान से आए विस्थापितों ने ये मांग की है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से ट्रेन शुरू करवाने का आग्रह किया है.
वर्ष 2006 से चल रही थार एक्सप्रेस बंद पड़ी है. कई साल बीत चुके मगर अभी तक इस ट्रेन को दोबारा शुरू नहीं किया गया है. अब पाक विस्थापितों ने फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है दोनों देशों में आपसी रिश्तेदारी निभाने के लिए इस ट्रेन को फिर शुरू किया जाए. इनका कहना है वह अपनी रिश्तेदारी निभा सकें और अपने परिवार के सदस्यों से मिल सकें. पाकिस्तान में रहने वाले पाक हिंदू जो प्रताड़ित हैं उनके लिए यह एक ट्रेन ही जरिया थी. वह अपने वतन आ सकते थे.
2019 से बंद है ट्रेन
भारत और पाकिस्तान के बीच यह ट्रेन साप्ताहिक थार लिंक एक्सप्रेस बंद हुए कई वर्ष बीत चुके हैं. वर्ष 2019 के बाद भगत की कोठी उपनगरीय रेलवे स्टेशन से इस यात्री गाड़ी का संचालन पूरी बंद कर दिया गया है. अब पाक विस्थापितों ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांग करते हुए थार एक्सप्रेस फिर शुरू करने की मांग की है.
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से चलती थी यह ट्रेन
1965 तक यह ट्रेन जोधपुर रेलवे के नाम से चलती थी. उसके बाद वर्ष 2006 में फिर से थार एक्सप्रेस का संचालन शुरू हुआ मगर उससे पहले काफी आंदोलन भी हुए थे. जब यह ट्रेन फिर शुरू हुई थी उस वक्त पाक विस्थापितों ने चार भाषाओं उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी और सिंधी में पर्चे छपवाकर-अच्छी बात है यह पैगाम दिया था. ट्रेन बंद होने से दोनों देशों में रहने वाली आवाम के बीच रिश्तेदारी निभाने का यह एक मात्र जरिया यही है जो फिर से बंद हो चुका है.
2019 में हुआ था आखिरी फेरा
जम्मू कश्मीर में धारा 370 खत्म करने के बाद भारत-पाक संबंधों में तनाव का असर ‘रिश्तों की रेल’ थार लिंक एक्सप्रेस पर दिखा था. इस ट्रेन का आखिरी फेरा 9 अगस्त 2019 को मध्य रात्रि को भगत की कोठी से पाकिस्तान तक हुआ था. वापसी में ये ट्रेन पाकिस्तान से 10 अगस्त की मध्य रात्रि को रवाना होकर 11 अगस्त रविवार को जोधपुर आयी थी. उसके बाद आज तक यह ट्रेन दोबारा शुरू नहीं हो पाई है.
गरीब परिवारों की सोचे सरकार
थार एक्सप्रेस बंद होने के कारण हिंदुस्तान-पाकिस्तान के बीच लोगों का आना जाना मुश्किल हो गया है. थार एक्सप्रेस खोल दी जाए तो गरीब हिंदू परिवार 200 रूपए टिकट में आ सकते हैं. इन विस्थापितों का कहना है थार एक्सप्रेस शुरू करने के लिए हम प्रधानमंत्री से यही मांग करते हैं कि अटारी मुन्नाबाव वाला रास्ता खोलने के साथ अटारी बॉर्डर खोला जाए. गरीब लोगों को रेल ही लाएगी उनके पास यही एक साधन है जिसकी सुविधा की जाए.
थार एक्सप्रेस थी संजीवनी
थार एक्सप्रेस दोनों देशों में बैठे लोगों के लिए संजीवनी की तरह थी. किसी ने बेटी की शादी यहां की तो किसी ने बहन की. किसी का भाई पाकिस्तान में रह गया. किसी की बहन भारत में है. इन सब के मिलने का एक मात्र रास्ता था अटारी बाघा बार्डर. 2006 में शुरू हुई थार एक्सप्रेस ने इन रिश्तों में संजीवनी का काम किया था. लेकिन 2019 के बाद थार एक्सप्रेस रेल सेवा बंद है. थार एक्सप्रेस 18 फरवरी 2006 से जोधपुर के भगत की कोठी स्टेशन से कराची के बीच हर शुक्रवार की रात को चलती थी. इससे पहले यह सेवा 41 वर्षों तक स्थगित रही थी.
2800 किलोमीटर का फेरा
भारत में बसे पाक विस्थापितों के साथ-साथ दोनों देशों में रह रहे रिश्तेदार भी रेल सेवा न होने से परेशान हैं. अब पाकिस्तान आने-जाने का एकमात्र विकल्प अटारी बाघा ही है. पश्चिमी राजस्थान और पाकिस्तान के सिंध निवासियों को करीब 2800 किलोमीटर का सफर तय कर अटारी बाघा बार्डर से आना जाना काफी महंगा पड़ रहा है. इतनी लंबी दूरी का सफर भी आसान नहीं है. रास्ते में लूट और अनहोनी का डर भी बना रहता है. इसलिए थार एक्सप्रेस को एक बार फिर शुरू करने की मांग जोर से उठ रही है.
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Tags: Indian Railway news, Jodhpur News, Local18
FIRST PUBLISHED : March 26, 2024, 19:20 IST
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