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मुंबई: आत्मविश्वास यानी कॉन्फिडेंस ही सफलता की कुंजी होती है। अगर आपमें कॉन्फिडेंस की कमी है तो आप अपने ड्रीम से कोसो दूर रहेंगे। आप मेहनत बहुत करते हैं लेकिन सफल नहीं हो पाते हैं। इसका मुख्य वजह कॉन्फिडेंस की कमी ही है। हमारे अंदर कुछ कमियां होती हैं जो हमारे अंदर कॉन्फिडेंस को पनपने नहीं देती। आज हम आपके सामने कुछ प्वाइंट्स लेकर आए हैं। जो कि कॉन्फिडेंस की कमी के लक्षण के बारे में है।
कॉन्फिडेंस की कमी के ये हैं लक्षण:
डर
डर एक दीमक की तरह होता है जो इंसान को अंदर ही अंदर खा जाती है। डर की वजह से हम आगे नहीं बढ़ पाते हैं। हम किसी काम को करने से पहले डरते हैं। जैसे फला शहर हम जाएंगे तो कैसे रहेंगे। वहां हमारा कोई नहीं होगा। हमारे साथ कुछ गलत न हो जाए। किसी के सामने अपनी बात रखने का डर। ये सब डर ही तो है। और ये डर कॉन्फिडेंस की कमी के वजह से होता है। इसलिए हमें चाहिए कि हम डरने के बजाय हम सतर्क होना सीख लें तो हमारा बहुत सारा काम आसान हो जाए और हम आगे बढ़ पाएंगे।
नकारात्मकता
बुरी संगत और गलत शिक्षा देने वाले लोगों से दूर रहें हैं। जो नकरात्मक बातें यानी कोई ऐसी बात जो आपको कमजोर महसूस कराए। आपसे किसी की निंदा करे, जिनकी बातों से आप डीमोटीवेट हों, या जिससे बात करने पर को एनर्जी न मिले या फिर कोई आपसे निर्थथक बातें करें ऐसे चीजों से या ऐसे व्यक्तियों से दूर रहना ही उचित है। क्योंकि इससे आपके अंदर नकारात्मकता जन्म लेती है और ये नकारात्मकता कॉन्फिडेंस को पनपने नहीं देती।
लोग क्या कहेंगे का डर
कई बार हम कोई महत्वपूर्ण फैसला इसलिए नहीं ले पाते क्योंकि हम सोच बैठते हैं कि लोग क्या कहेंगे। हम अपनी सुविधा, पसंद और कंफर्ट को इसलिए तरजीह नहीं दे पाते कि लोग क्या कहेंगे। लोग क्या कहेंगे के डर में ही हम रह जाते हैं। ये डर हमारे कॉन्फिडेंस को बूस्ट करने में बाधक बनती है यानी दूसरों के बारे में सोसचकर खुद के लिए फैसला न ले पाना कॉन्फिडेंस की कमी के लक्षण हैं।
खुद को कमजोर समझना
कहा जाता है, खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है। खुद को कमजोर समझना एक तरह का मानसिक रोग भी कह सकते हैं। और रोग कॉन्फिडेंस को बढ़ने नहीं देता। यह हमारी सोच पर निर्भर करता है कि हम अपने बारे में कैसा सोचते हैं। अगर हम खुद को कमजोर समझते हैं तो यह कॉन्फिडेंस की कमी है।
हमेशा दूसरों पर निर्भर रहना
हमेशा दूसरों पर निर्भर रहना और मदद मांगना, खुद कुछ न करना। ये आत्मविश्वास की कमी को दर्शाता है।
रिस्क से लेने डरना
कई बार हमें इतने कंफर्ट जोन में रहनी की आदत हो जाती हैं कि हम कोई रिस्क लेना ही नहीं चाहते। रिस्क न लेने की आदत हमें आपको आगे बढ़ने से रोकता है। यानी रिस्क लेने से डरना आत्मविश्वास की कमी के लक्षण हैं।
एक्शन लेने से डरना
कोई आपको कुछ कह कर चला गया। आपने कोई एक्शन नहीं लिया। यह आपके अंदर आत्मविश्वास की कमी होने का लक्षण दिखाता है। समय, जगह और परिस्थितियों को देखते हुए एक्शन लेने से पीछे नहीं हटना चाहिए।
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