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सरकार द्वारा प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध को आगे बढ़ाने की वजह से कीमतों में गिरावट की संभावना जताई जा रही है। इसी को देखते हुए सरकार ने किसानों के हित में बड़ा फैसला लिया है। सरकार की ओर से मंगलवार को कहा गया है कि वह आने वाले दो-तीन दिनों में 5 लाख टन रबी प्याज की खरीद शुरू करेगी। बता दें, प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध अगले आदेश तक बढ़ा दिया गया है। पहले ये 31 मार्च को खत्म होना था।
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि हम किसानों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि उनकी चिंता का ध्यान रखा जाएगा। हम बफर स्टॉक बनाए रखने के लिए अगले 2-3 दिन में पांच लाख टन रबी (सर्दियों) की फसल की खरीद शुरू करेंगे।
व्यापारियों पर पड़ेगा असर
सिंह ने आगे कहा कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध से व्यापारियों पर असर पड़ रहा है, न कि किसानों पर, क्योंकि महाराष्ट्र में औसत मंडी (थोक) कीमतें फिलहाल लगभग 13-15 रुपये प्रति किलोग्राम हैं, जो पिछले वर्ष के स्तर से लगभग दोगुनी है। उन्होंने कहा कि भले ही कीमतें गिरें, हम किसानों के हितों की रक्षा करेंगे। सरकार आमतौर पर प्रचलित मंडी दरों पर बफर स्टॉक के लिए प्याज खरीदती है। हालांकि, यदि दरें उत्पादन लागत से नीचे आती हैं, तो सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि कम से कम किसानों की लागत पूरी हो। वर्ष 2023-24 में सरकार ने बफर स्टॉक के लिए 17 रुपये प्रति किलोग्राम की औसत दर पर 6.4 लाख टन प्याज (रबी और खरीफ दोनों फसलें) खरीदा था।
प्याज का उत्पादन गिराने का अनुमान
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, सत्र 2023-24 (जुलाई-जून) में रबी प्याज का उत्पादन 20 प्रतिशत घटकर 190.5 लाख टन रहने का अनुमान है, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 237 लाख टन रहा था। देश में प्याज की उपलब्धता के लिए रबी प्याज महत्वपूर्ण है क्योंकि वार्षिक उत्पादन में 72-75 प्रतिशत का योगदान देता है। साल भर प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए रबी प्याज भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें खरीफ (ग्रीष्मकालीन) प्याज की तुलना में बेहतर स्व-जीवन है और इसे नवंबर-दिसंबर तक आपूर्ति के लिए संग्रहीत किया जा सकता है।
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