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भारत सरकार देश के छोटे शहरों को तेजी से हवाई सुविधा से जोड़ने की कोशिश कर रही है। आम लोग भी धीरे धीरे रेल और बस की बजाए हवाई यात्रा को तरजीह देने लगे हैं। लेकिन ये नए एयरपोर्ट फिलहाल सरकार पर बोझ बनते जा रहे हैं। देश में कुल 148 हवाई अड्डे परिचालन में हैं, लेकिन इसमें से सिर्फ 22 हवाई अड्डे ही लाभ में हैं और इससे सरकार को कमाई हो रही है, वहीं 126 एयरपोर्ट घाटे में हैं। यह खुलासा विमानन क्षेत्र से जुड़ी एक संसदीय समिति ने किया है।
एक संसदीय समिति ने कहा है कि देश का नागर विमानन क्षेत्र वृद्धि की राह पर होने के बावजूद डेमोग्राफिकल डिविडेंड का पूरा फायदा नहीं उठा पाया है और इसके 148 में से सिर्फ 22 हवाई अड्डे ही लाभ कमा पा रहे हैं। राज्यसभा सदस्य सुजीत कुमार की अगुवाई वाली संसदीय समिति ने शुक्रवार को संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में यह टिप्पणी की है।
सक्रिय हवाई अड्डों की स्थिति बेहद कम
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत जैसे विशाल आकार वाले देश के लिए सक्रिय स्थिति वाले हवाई अड्डों की संख्या बेहद कम है। संसदीय समिति ने रिपोर्ट में कहा, ‘‘भारत में नागर विमानन क्षेत्र पिछले दो दशक से वृद्धि की राह पर है लेकिन यह भारतीय अर्थव्यवस्था और जनांकिकीय लाभांश का भरपूर फायदा नहीं उठा पाया है। हमारे जैसे देश में 148 सक्रिय हवाई अड्डों के होने से यह परिलक्षित भी होता है। इन 148 में से सिर्फ 22 हवाई अड्डों का ही लाभ कमाना हालात को और भी बुरा करता है।’’
तेजी से काम करने की जरूरत
रिपोर्ट कहती है कि दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता विमानन बाजार होने के बावजूद भारत में हवाई अड्डों का प्रसार उतनी तेजी से नहीं हुआ है। इसकी वजह से भारत की रफ्तार पकड़ती हुई हवाई यात्रा मांग और विमानन क्षेत्र की वृद्धि भी प्रभावित हो रही है। इसके साथ ही संसदीय समिति ने कई विमानन कंपनियों के घाटे में जाने का जिक्र करते हुए कहा है कि किफायती परिचालन और टिकाऊपन पर जोर देना दीर्घावधि में एयरलाइंस के लिए जरूरी होगा।
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