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पड़ोसी देश चीन का इस समय बुरा हाल है। इकॉनमी (China economy) में सुस्ती है। युवाओं को रोजगार नहीं है। रियल एस्टेट सेक्टर बर्बाद हो चुका है। मल्टीनेशनल कंपनियां बाहर जा रही हैं और सबसे बुरा हाल है शेयर बाजार (China Share Market) का। चीन के शेयर बाजार में इस समय कत्लेआम मचा हुआ है। इस हफ्ते चीन का स्टॉक मार्केट संघाई कंपोजिट इंडेक्स 6.2 फीसदी गिर गई। यह अक्टूबर 2018 के बाद की सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट है। जबकि शेनजेन कंपोनेंट इंडेक्स 8.1 फीसदी गिर गई, जो 3 साल में सबसे बड़ी गिरावट है। इस साल की शुरुआत से अब तक ये इंडेक्स क्रमश: 8 फीसदी और 15 फीसदी से अधिक गिर गई हैं।
3 साल में 6 ट्रिलियन डॉलर स्वाहा
पिछले तीन साल चीनी स्टॉक मार्केट से 6 ट्रिलियन डॉलर स्वाहा हो चुके हैं। उधर चीनी इकॉनमी में बड़ा योगदान देने वाले रियल एस्टेट मार्केट में रिकॉर्ड गिरावट आ रही है। उच्च युवा बेरोजगारी, डीफ्लेशन और बर्थरेट में तेजी से गिरावट दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी को काफी परेशान कर रही हैं। आईएमएफ के अनुमान के अनुसार, चीन की जीडीपी ग्रोथ रेट इस साल गिरकर 4.6 फीसदी रह सकती है। यह दशकों की सबसे कमजोर परफॉर्मेंस होगी। वहीं, साल 2028 तक यह गिरकर 3.5 फीसदी रह सकती है।
चीनी इकॉनमी के लिए बेहद बुरा रहा यह हफ्ता
यह हफ्ता चीन के लिए बेहद बुरा साबित हुआ। हफ्ते की शुरुआत दुनिया और चीन की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी एवरग्रांडे पर बिकने की नौबत आने से हुई थी। हांगकांग की कोर्ट ने एवरग्रांडे के लिक्विडेशन का आदेश दिया था। यह दुनिया का सबसे बड़ा कर्ज में डूबा प्रॉपर्टी डेवलपर है। इसी के साथ ही चीन में रियल एस्टेट संकट और गहरा गया है। यही नहीं, रियल एस्टेट संकट से चीन की बैंकिंग इंडस्ट्री पर भी मुसीबतों का पहाड़ टूटने वाला है।
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