[ad_1]
इजराइल और आतंकवादी संगठन हमास के बीच युद्ध गहराता जा रहा है। इस युद्ध को जल्द समाप्त होने की संभावना नहीं है। ऐसे में क्या इस संकट से साल 1973 के अरब तेल प्रतिबंध के 50 साल बाद पश्चिम एशिया में मौजूदा संकट से वैश्विक तेल आपूर्ति बाधित होने और कीमतें बढ़ने की आशंका है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस युद्ध से कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने का अनुमान है। इसका असर दुनियाभर में देखने को मिलेगा। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि तेल के दा में बड़ा उछाल और गैस पंप पर लंबी कतारें लगने की आशंका नहीं है। आपको बता दें कि हमास के आतंकवादियों द्वारा हमला करने के दिन यानी छह अक्टूबर को वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 85 डॉलर प्रति बैरल था, जो गुरुवार को 91 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर कारोबार कर रहा था।
अगर यह हुआ तो कीमत में उछाल संभव
लिपोव ऑयल एसोसिएट्स के अध्यक्ष एंड्रयू लिपोव ने कहा कि कीमतों के निरंतर बढ़ने से वास्तव में आपूर्ति में ब्रेक से उत्पन्न होगा। अगर इज़राइल के सैन्य हमले से ईरानी तेल बुनियादी ढांचे को कोई भी नुकसान पहुंचते हैं तो वैश्विक स्तर पर कीमतों में उछाल आ सकता है। ऐसा न होने पर भी ईरान के दक्षिण में स्थित होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने का भी तेल बाजार पर असर पड़ सकता है क्योंकि दुनिया की बहुत सारी आपूर्ति जलमार्ग से होती है। लिपोव ने कहा कि जब तक ऐसा कुछ नहीं होता, तेल बाजार हर किसी की तरह पश्चिम एशिया की घटनाओं पर नजर रखेगा। हमले के बाद से कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण तेल की कीमतें 96 डॉलर तक पहुंची हैं।
विशेषज्ञों की अलग-अलग राय
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के प्रमुख ने कहा कि सऊदी अरब और रूस से तेल उत्पादन में कटौती और चीन से मजबूत मांग के अनुमान के बाद अब इज़राइल-हमास युद्ध निश्चित रूप तेल बाजारों के लिए अच्छी खबर नहीं है। पेरिस स्थित आईईए के कार्यकारी निदेशक फतिह बिरौल ने ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ को बताया कि बाजार अस्थिर रहेंगे और संघर्ष से तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं, जो निश्चित रूप से महंगाई के लिए बुरी खबर है। उन्होंने कहा कि तेल और अन्य ईंधन का आयात करने वाले विकासशील देश ऊंची कीमतों से सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
Latest Business News
[ad_2]
Add Comment