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सीमा कुमारी
नई दिल्ली: अगर कोई इंसान बचपन से ही मेंटली स्ट्रॉन्ग रहे, तो उसके लिए उसकी आगे की जिंदगी थोड़ी आसान हो जाती है। इस चीज की नींव मां-बाप बचपन में ही रख सकते हैं। लेकिन,बड़े हैरानी की बात है कि आजकल के बच्चों में हौसले और आत्मविश्वास की इतनी कमी है।
हार को स्वीकार ना कर पाना और अपने इमोशंस को अपने ऊपर हावी होने देकर वो खुद को खत्म करने जैसा कदम उठा लेते हैं, जो उनके पेरेंट्स को भी तोड़ कर रख देता है। जरूरी है कि जिंदगी में आने वाली चुनौतियों के लिए पेरेंट्स अपने बच्चों को मानसिक तौर पर मजबूत बनाएं।
अगर आप भी अपने बच्चों को जिंदगी में कभी कमजोर पड़ते नहीं देखना चाहते हैं, तो इन टिप्स के साथ करें उन्हें मेंटली स्ट्रॉन्ग बनाएं। आइए जानें इस टिप्स के बारे में-
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एक्सपर्ट्स के अनुसार, ज्यादातर पेरेंट्स ये सोचते हैं कि बच्चों को तो चुनौतियों और मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता है, पर ये सच नहीं है। बच्चों को भी खुद पर शक होता है, उन्हें भी नेगेटिव विचार आते हैं। इसका असर बच्चे के बिहेवियर और एक्शन पर पड़ता है। पेरेंट्स को बच्चे को समझाना चाहिए कि उन्हें चिंता नहीं करनी चाहिए और हर स्थिति में पॉजिटिव रहना चाहिए। बच्चों में आत्मविश्वास भरने के लिए उन्हें वास्तविकता में रहना सिखाएं।
सफल होने से पहले हर कोई बहुत गलतियां करता है और अपनी गलतियों से ही सीख कर सफलता तक पहुंचाता है। आप भी अपने बच्चे को गलती करने पर डांटें नहीं बल्कि उसमें गलतियों से सीखने की भावना और प्रवृत्ति पैदा करें। बच्चे को यह पता होना चाहिए गलती करना ठीक है।
आप बच्चे को कुछ और सिखा रहे हैं और खुद उसका उल्टा कर रहे है तो फिर बच्चों को दी गई सीख पर चलने की उम्मीद ना करें। बच्चा वही करता है जो वो देखता है, इसलिए जरूरी है कि आप जो सिखाएं, उस पर खुद भी अमल करें। तभी आप बच्चों के लिए एक अच्छे रोल मॉडल बन पाएंगे।
सबसे ज्यादा बच्चों को जरूरत है अपने इमोशंस को कंट्रोल में रखने की। पैरेट्स को भी बच्चों के इमोशंस समझने चाहिए। किस तरह उनके इमोशंस उनके बिहेवियर को प्रभावित करते हैं। एक बार पेरेंट्स इन बातों को समझ गए तो वो बच्चों को इन चीजों को हैंडल करने के काबिल बना पाएंगे। बच्चे खुद को कभी इमोशनल कमजोर महसूस नहीं करेंगे।
ये एक लाइफ स्किल है जो शायद हर बच्चे को आना चाहिए। आप उसकी मदद के लिए खड़े ना रहें बल्कि उसे खुद अपनी मुश्किलों को हल करना सिखाएं। बच्चे को धीरे-धीरे अपने आप समझ आने लगेगा कि क्या करने से क्या होगा और इस तरह उसमें प्रॉब्लम को हल करने का स्किल आने लगेगा।
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