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मुंबई: गर्मी के साथ ही मुंबई में आंख आने की शिकायत बढ़ गई है। आंख आना एक तरह का नेत्र रोग है जिसे कंजंक्टिवाइटिस कहा जाता है। यह एक संक्रामक रोग है, जो इन दिनों मुंबई में तेजी से पैर पसार रहा है। आंख आने के अलावा स्टाई (बिलनी) की समस्या से भी मुंबईकर दो चार हो रहे हैं। गर्मी के मौसम में यह नेत्र रोग आमतौर पर बड़ी संख्या को प्रभावित करता है, ऐसे में इससे बचाव करने और सही उपचार लेने की आवश्यकता है।
क्या होता है कंजंक्टिवाइटिस और स्टाई
कंजंक्टिवाइटिस नेत्र रोग है, जो गर्मी के मौसम में बहुत तेजी से फैलता है, यह संक्रामक रोग है जो वायरस और बैक्टीरिया की वजह से होता है। लोगों में भ्रम है कि यह एक दूसरे को देखने की वजह से होता है, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। इसका संक्रमण किसी न किसी माध्यम से फैलता है। बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति वाले लोगों में इसके संक्रमण का खतरा अधिक होता है। वहीं स्टाई जिसे आंख की पलक की फुंसी भी कहा जाता है। यह आंख के पालक की रोम छिद्र में हुए इंफेक्शन की वजह से होती है। मुंबई में इस समय कंजंक्टिवाइटिस और स्टाई की वज़ह से बड़ी संख्या में लोग परेशान हो रहे हैं।
लक्षण
कंजंक्टिवाइटिस यानी आंख आने की वजह से आंख पूरी तरह से लाल हो जाती है।
आंखों से बार-बार पानी आता है।
आंखों में बार-बार खुजली होती है।
आंखों में रह-रह कर जलन महसूस होती है।
वहीं दूसरी तरफ स्टाई के लक्षण भी कुछ इसी तरह के होते हैं।
लेकिन इसमें आंख की पलक पर फुंसी साफ तौर पर दिखाई देती है और इस फुंसी में दर्द भी महसूस होता है।
बचाव का तरीका
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शशि कपूर के मुताबिक नेत्र रोग से बचने का कोई खास तरीका नहीं है, क्योंकि नेत्र रोग कई वजह से होते हैं, लेकिन फिर भी आंख को छूने से पहले हाथ को धोना, आंख को रगड़ने से बचना और संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से बचकर, इस नेत्र रोग से खुद को बचाया जा सकता है।
उपचार का तरीका
गर्मी के मौसम में होने वाले यह नेत्र रोग वैसे तो एक हफ्ते के भीतर अपने आप ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन उससे ज्यादा समय तक अगर यह आपको परेशान कर रहे हैं, तो ऐसी स्थिति में नजदीकी चिकित्सक से आपको संपर्क करना चाहिए। डॉ शशि कपूर का कहना है कि सही समय पर सही उपचार के साथ इस नेत्र विकार से बेहद आसानी से छुटकारा मिल जाता है। गर्मी के मौसम में और मानसून के वक्त आमतौर पर यह बीमारी लोगों को परेशान करती है, लेकिन यह पूरी तरह से ठीक होने वाली बीमारी है। इससे लोगों को घबराना नहीं चाहिए।
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