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सीमा कुमारी
नई दिल्ली: सनातन धर्म में सावन का महीना देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस पावन महीने में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-उपासना की जाती है। इस साल ‘सावन माह’ (Sawan Somwar 2023) का प्रारंभ 4 जुलाई 2023 दिन मंगलवार से हो रहा है। सावन के पहले दिन मंगला गौरी व्रत है। सावन का पहला सोमवार व्रत 10 जुलाई को रखा जाएगा।
इस साल 8 सावन सोमवार व्रत है। 19 साल बाद ऐसा संयोग बना है कि सावन सोमवार के 8 व्रत रखे जाएंगे। इसका कारण है सावन माह में लगने वाला अधिक मास। श्रावण मास में सावन सोमवार के 4 और सावन अधिक मास के 4 सोमवार व्रत होंगे। आइए जानें इस साल श्रावण मास में सावन सोमवार व्रत कब-कब है।
पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 3 जुलाई सोमवार को शाम 5 बजकर 8 मिनट से शुरू हो रही है और 4 जुलाई मंगलवार को दोपहर 1 बजकर 38 मिनट पर इसका समापन होगा।
उदयातिथि के आधार पर श्रावण मास का शुभारंभ 4 जुलाई से होगा।
श्रावण 2023 का समापन 31 अगस्त दिन गुरुवार को होगा। श्रावण अधिक मास 18 जुलाई से लेकर 16 अगस्त तक है।
सावन सोमवार व्रत कैलेंडर 2023
सावन का पहला सोमवार: 10 जुलाई 2023
सावन का दूसरा सोमवार: 17 जुलाई 2023
सावन का तीसरा सोमवार: 21 अगस्त 2023
सावन का चौथा सोमवार: 28 अगस्त 2023
सावन अधिक मास का पहला सोमवार: 24 जुलाई 2023
सावन अधिक मास का दूसरा सोमवार: 31 जुलाई 2023
सावन अधिक मास का तीसरा सोमवार: 7 अगस्त 2023
सावन अधिक मास का चौथा सोमवार: 14 अगस्त 2023
पूजा विधि
सावन सोमवार के दिन गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर सफेद रंग के कपड़े धारण करें। इसके पश्चात जल में गंगाजल, बिल्व पत्र और काले तिल मिलाकर शिवजी को जल का अर्घ्य दें। इस समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें। अब भगवान शिव की पूजा भांग, धतूरा, बेलपत्र, गन्ने का रस, पान पत्ता, लौंग, इलायची, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर आदि चीजों से करें। भगवान शिव को आक, धतूरा, हरसिंगार के फूल अति प्रिय है। अतः, भगवान शिव को आक, धतूरा और हरसिंगार के फूल अवश्य अर्पित करें। इसके बाद शिव चालीसा, शिव तांडव स्त्रोत आदि का पाठ करें। अंत में आरती अर्चना कर इच्छा के अनुसार ( सुख, समृद्धि, शीघ्र विवाह, दांपत्य जीवन में मिठास) कामना करें।
धार्मिक महत्व
सनातन धर्म शास्त्रों में निहित है कि चिरकाल में जगत जननी आदिशक्ति मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की। साथ ही सावन के महीने में सोमवार का व्रत-उपवास कर विधिवत शिव जी की पूजा की। उनकी कठिन भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें मनोवांछित वरदान दिया। कालांतर में सावन सोमवार व्रत के पुण्य-प्रताप से मां पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ। अत: सावन सोमवार का विशेष महत्व है।
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