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नई दिल्ली: आज पीएम मोदी मन की बात कार्यक्रम को संबोधित कर रहे हैं। मन की बात कार्यक्रम का ये साल का पहला एपिसोड है, जिसके जरिए पीएम मोदी लोगों से रूबरू हो रहे हैं। मन की बात कार्यक्रम का यह 109वां एपिसोड है, जिसमें पीएम मोदी मन की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमृतकाल में नई उमंग है, नई तरंग है। इस साल संविधान के भी 75 वर्ष हुए और सुप्रीम कोर्ट के भी 75 वर्ष पूरे। उन्होंने कहा कि संविधान के मूल प्रति के तीसरे अध्याय में लोगों के मूल अधिकारों का वर्णन किया गया है। दिलचस्प बात ये है कि तीसरे अध्याय के प्रारंभ में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के चित्रों को स्थान दिया गया है। संविधान निर्माताओं के लिए भी ये प्रेरणा का स्रोत था।
पीएम मोदी ने कहा कि मेरी अपील पर मकर संक्रांति से 22 जनवरी तक लोगों ने श्रद्धा भाव से धार्मिक स्थानों की सफाई की, ये भावना रुकनी नहीं चाहिए। सामूहिकता की यही शक्ति देश को सफलती की नई ऊचाई पर पहुंचाएगी। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी की परेड बहुत अद्भूत रही। इसमें सबसे ज्यादा चर्चा विमेन वापर की हुई। सभी झाकियों में महिला कलाकार शामिल थीं। डीआरडीओ की झांकी ने भी सभी का ध्यान खींचा, जिसमें दिखाया गया कि कैसे नारी शक्ति हर क्षेत्र में देश की सुरक्षा कर रही है। 21 वीं सदी का भारत ऐसे ही मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि अर्जुन अवार्ड में कई होनहार खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया। इसमें सबका ध्यान महिला खिलाड़ियों ने खींचा। इन एथलीटों ने कई बड़े टूर्नामेंटों में हिस्सा लिया और भारत का परचम लहराया। बदलते हुए भारत में हर क्षेत्र में हमारी बेटियां कमाल कर रही हैं। इनके अलावा सेल्फ हेल्प ग्रुप के क्षेत्र में भी महिलाएं परचम लहरा रही हैं। वो दिन दूर नहीं जब गांव-गांव और खेतों में नमो ड्रोन दीदियां खेती करती दिखाई देंगीं।
पद्म पुरष्कार पाने वालें लोगों के बारे में बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि तीन दिन पहले ही पद्म पुरस्कारों का ऐलान किया गया है। इसमें ऐसे लोगों का नाम था, जिन्होंने जमीन से जुड़कर काम किया है। मीडिया की हेडलाइन से दूर, ये लोग बिना किसी लाइमलाइट के समाज सेवा में जुटे थे। पहले इन लोगों के बारे में शायद ही देखने को मिला, लेकिन अब पद्म सम्मान घोषित होने के बाद लोग इन लोगों के बारे में जानने के लिए ज्यादा से ज्यादा उत्सुक है। इसमें 30 महिलाएं हैं, जो जमीनी स्तर पर अपने कार्यों से देश और समाज को आगे ले जा रही हैं। पिछले एक दशक में पद्य सम्मान देने का सिस्टम पूरी तरह से बदल गया है। लोगों के पास खुद को भी नॉमिनेट करने का ऑप्शन दिया गया है। इससे साल 2014 के बाद से अब तक 28 प्रतिशत अधिक नॉमिनेशन प्राप्त हुए हैं।
पीएम मोदी ने अंगदान को लेकर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमारे बीच कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो जीवन के बाद भी समाज के दायित्वों को निभाते हैं। ये लोग अंगदान करके अपना दायित्व निभाते हैं। ये निर्णय आसान नहीं होता है, लेकिन ये निर्णय कई जिंदगियों को बचाने के लिए लिया जाता है। आज देश में कई संगठन भी इस दिशा में प्रेरक प्रयास कर रहे हैं। ऐसे प्रयासों से सकारात्मक माहौल बन रहा है और लोगों की जिंदगियां भी बच रही हैं।
आपमें से कई लोग होंगे जिन्हें इलाज के लिए आयुर्वेद, युनानी या सिद्ध की पद्धति से मदद से मिलती है, लेकिन जब दूसरे डॉक्टर के पास जाते हैं तो हर डॉक्टर अपने हिसाब ने बीमारी का नाम और इलाज लिखता है, लेकिन आयूष विभाग ने अब इसका समाधान खोज लिया है। साथ ही आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी पद्धति की शब्दावली की कोडिंग कर दी गई है। इसकी मदद से अब सभी डॉक्टर एक जैसी भाषा लिखेंगे। इसका फायदा ये होगा कि अगर एक पर्ची लेकर दूसरे डॉक्टर के पास जाएंगे तो उसे समझने में आसानी होगी। उन लोगों को भी फायदा होगा जो रिसर्च के काम से जुड़े हैं। साथ ही दूसरे देशों के वैज्ञानिकों को मदद मिलेगी। इससे ये चिकित्सा पद्धति और बेहतर परिणाम देगी।
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