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संतोष गंगवार, छत्रपाल सिंह गंगवार
– फोटो : अमर उजाला
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लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा प्रत्याशियों की रविवार को जारी सूची के बाद बरेली में ‘संतोष युग’ पर विराम लग गया है। 10 बार चुनाव लड़कर आठ बार विजेता रहे संतोष गंगवार की 11वीं बार की उम्मीदवारी उनकी बढ़ती उम्र से हार गई। अब फिलहाल वह पार्टी में मार्गदर्शक मंडल की भूमिका में नजर आएंगे। वहीं उनकी विरासत को संभालने की जिम्मेदारी उनकी ही बिरादरी के छत्रपाल गंगवार की होगी। इस तरह गंगवार यानी कुर्मी बिरादरी का प्रभाव भी पार्टी में बरेली सीट पर कायम रहेगा।
वैसे, संतोष गंगवार की उम्मीदवारी इस बार के चुनाव में शुरू से ही सवालों में थी। सबसे बड़ी बाधा उनकी उम्र 75 वर्ष होना थी। केंद्र में मंत्री पद जाने के बाद टिकट कटने की आशंका और मजबूत हो गई थी। हालांकि उनके समर्थकों ने मजबूत दावेदारी कर रखी थी। उम्र के अलावा उनका कोई विरोध भी क्षेत्र से नहीं था। यही कारण रहा कि प्रदेश की कई सीटों पर उम्मीदवारों के बावजूद बरेली का टिकट देर से घोषित हुआ। लखनऊ से लेकर दिल्ली तक यहां के टिकट को लेकर मंथन चला।
जानकारों का कहना है कि पार्टी ने संतोष का टिकट तो काटा, लेकिन उनकी बिरादरी की अनदेखी नहीं की। क्योंकि बरेली सीट पर करीब 3.5 लाख गंगवार बिरादरी का वोट है। इस लोकसभा क्षेत्र में आने वाले पांच विधानसभा क्षेत्रों बरेली शहर, कैंट, नवाबगंज, मीरगंज, भोजीपुरा में कुर्मी बिरादरी के गंगवार वोट की बहुलता है। यही नहीं पीलीभीत व आसपास की सीटों में भी इस बिरादरी के खासे मतदाता हैं। इसीलिए जातीय गणित का ध्यान रखते हुए पार्टी ने बहेड़ी से विधायक रहे छत्रपाल गंगवार को मैदान में उतारा।
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