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नीरज चोपड़ा और मुरली श्रीशंकर
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
विश्व चैंपियन बनने के चार दिन बाद ही स्टार जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा के सामने इस सत्र में अपनी जीत के क्रम को बरकरार रखने की चुनौती है। नीरज थोड़ी देर में डायमंड लीग में उतरने जा रहे हैं। अब तक वह इस सत्र में एक भी खिताब नहीं हारे हैं। नीरज रविवार को बुडापेस्ट में 88.17 मीटर भाला फेंक कर पहली बार विश्व विजेता बने हैं। अब वह डायमंड लीग में भी जीत के सिलसिले को कायम रखने उतरेंगे।
डायमंड लीग में तीसरे स्थान पर चल रहे हैं नीरज
नीरज ने इस सत्र में सिर्फ तीन कंपटीशन ही खेले हैं। इनमें विश्व चैंपियनशिप के अलावा दोहा और लुसान के डायमंड लीग लेग शामिल हैं। इन तीनों में ही नीरज को जीत मिली है। दोहा डायमंड लीग में उन्होंने 88.67 मीटर भाला फेंका था, जबकि लुसान डायमंड लीग में वह 87.66 मीटर के साथ जीते थे। यह इस सत्र में नीरज का चौथा टूर्नामेंट होगा। यह जेवलिन थ्रो में डायमंड लीग का चौथा और अंतिम प्रतियोगिता है।
वह दो कंपटीशन में 16 अंक लेकर तीसरे स्थान पर चल रहे हैं। बुडापेस्ट में 86.67 मीटर के साथ कांस्य जीतने वाले चेक गणराज्य के जाकुब वालदेच तीन कंपटीशन में 21 अंक के साथ पहले और जर्मनी के जूलियन वेबर तीन कंपटीशन में 19 अंक के साथ दूसरे स्थान पर हैं। एंडरसन पीटर्स तीन कंपटीशन में 15 अंक लेकर नीरज के बाद चौथे स्थान पर हैं। नीरज ने डायमंड लीग का मोनाको लेग मिस किया था। इसी वजह से बाकी ने तीन और नीरज ने दो कंपटीशन खेले हैं।
16 सितंबर से है डायमंड लीग का फाइनल
ज्यूरिख लेग के बाद 16 और 17 सितंबर को यूगेन (अमेरिका) में डायमंड लीग का फाइनल है। नीरज बीते वर्ष ज्यूरिख में ही डायमंड लेग का फाइनल जीते थे। इस बार यहां उनका मुकाबला वादलेच, वेबर और पूर्व विश्व चैंपियन एंडरसन पीटर्स से है। बुडापेस्ट में रजत पदक जीतने वाले पाकिस्तान के अरशद नदीम इस कंपटीशन में नहीं खेल रहे हैं। लीग में पहले छह स्थान पर रहने वाले जेवलिन थ्रोअर यूगेन में फाइनल खेलेंगे।
नीरज ने रचा था इतिहास
भारत के गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा ने 27 अगस्त को इतिहास रचा था। वह विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बन गए। हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट के नेशनल एथलेटिक्स सेंटर में नीरज ने जेवलिन थ्रो इवेंट में 88.17 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक पर निशाना साधा। वह ओलंपिक गोल्ड के बाद विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाले सिर्फ तीसरे जेवलिन थ्रोअर बने। उनसे पहले सिर्फ चेक रिपब्लिक के पूर्व जेवलिन थ्रोअर जान जेलेजनी और नॉर्वे के एंड्रियास थोर्किल्डन ने ऐसा किया था।
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