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शोभा ओहटकर
– फोटो : अमर उजाला
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बिहार के पुलिस महानिदेशक रहते हुए पटना उच्च न्यायालय के फर्जी मुख्य न्यायाधीश की पैरवी सुनने के कारण विवादों में रहे संजीव कुमार सिंघल अंतत: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नजरों से उतर गए। सिंघल को डीजीपी पद से रिटायर होने के बाद मुख्यमंत्री ने सिपाही भर्ती परीक्षा की अहम जिम्मेदारी देते हुए केंद्रीय (सिपाही) चयन पर्षद का अध्यक्ष बनाया था। लेकिन, जब सिपाही भर्ती परीक्षा भी शुरू हुई तो धांधली के कारण रद्द करनी पड़ी। अब उनकी जगह गालीबाजी के लिए सुर्खियों में रहीं चर्चित रहीं भारतीय पुलिस सेवा की वरिष्ठ अधिकारी शोभा ओहटकर को राज्य की नीतीश कुमार सरकार ने यह अहम जिम्मेदारी दी है।
क्यों हुई सिंघल की विदाई, पहले यह समझें
1988 बैच के सेवानिवृत आईपीएस अधिकारी एसके सिंघल की रिटायरमेंट के समय ही किरकिरी हो रही थी, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उन्हें अहम जिम्मेदारी दी। सिपाही चयन पर्षद की जिम्मेदारी उन्हें दिए जाने पर भी विवाद रहा। सोशल मीडिया पर सिंघल को खूब ट्रोल किया गया और निशाने पर बिहार के गृह विभाग के मंत्री, यानी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी रहे। इसके बावजूद वह पद पर कायम रहे। सिपाही भर्ती परीक्षा की प्रक्रिया शुरू हुई तो एक समय लगा कि वह मुख्यमंत्री की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे। लेकिन, जैसे ही परीक्षा शुरू हुई तो हर तरह की गड़बड़ी सामने आने लगी। प्रश्नपत्र का हल तैयार होकर परीक्षा भवन में पहुंचा मिला। एक नहीं, कई जगह। दूसरे परीक्षार्थी की जगह परीक्षा देने वाले भी पकड़े गए। इतनी तरह की गड़बड़ी सामने आयी, लेकिन केंद्रीय चयन पर्षद के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने तत्काल एक्शन नहीं लिया। मामला आर्थिक अपराध शाखा के पास गया और अंतत: तीन अक्टूबर को बतौर अध्यक्ष सिंघल ने हो चुकी परीक्षा को रद्द करते हुए शेष परीक्षा को स्थगित करने का फैसला लिया। इसके बाद से आर्थिक अपराध इकाई की जांच चल रही है और माना जा रहा है कि इसी क्रम में कुछ विसंगतियों को देखते हुए सरकार ने यह कड़ा फैसला लिया है। जनवरी के दूसरे हफ्ते तक ईओयू अपनी जांच रिपोर्ट देती, इससे पहले सिंघल की छुट्टी कर दी गई।
शोभा ओहटकर को मौका के पीछे की वजह जानें
1990 बैच की आईपीएस अधिकारी शोभा ओहटकर महानिदेशक के रूप में सेवा दे रही हैं। अपने कड़े स्वभाव के कारण वह ‘हंटर वाली’ के रूप में लंबे समय तक चर्चित रहीं। पिछले कुछ समय से उनकी चर्चा गृह रक्षा वाहिनी एवं अग्निशाम सेवाएं के महासमादेष्टा के रूप में चर्चित आईपीएस अधिकारी विकास वैभव के साथ अभद्रता के कारण हो रही थी। सरकार के पास त्राहिमाम संदेश के बाद विकास वैभव को उनसे मुक्ति मिली तो आईपीएस अनुसूइया रणसिंह ने भी इसी तरह का आरोप लगाया। अनुसूइया मामले में ओहटकर भारी पड़ी, हालांकि विकास वैभव के मामले में उन्हें कुछ समय के लिए असहज भी होना पड़ा। असहजता के बावजूद नीतीश कुमार सरकार ने उनपर विश्वास बनाए रखा, जिसके कारण विकास वैभव को पुलिस विभाग से अंतत: हटाकर सामान्य प्रशासन विभाग के मातहत काम में लगा दिया गया। अपने सख्त रवैए के कारण सरकार का यह मानना है कि वह अभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘नौकरियां ही नौकरियां’ योजना के लिए सही होंगी। उन्हें अब लोकसभा चुनाव के पहले सिपाही भर्ती की प्रक्रिया पूरी करानी है।
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