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इतिहासकार इरफान हबीब
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
92 साल की उम्र में भी प्रख्यात इतिहासकार इरफान हबीब की याददाश्त गजब की है। उनका अध्ययन व्यापक है। इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं और उनकी तिथियां उनकी जुबान पर हैं। सबसे बड़ी बात कि अपनी बात बड़ी बेबाकी से पूरे आत्मविश्वास के साथ रखते हैं। कोई लाग-लपेट नहीं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर इरफान हबीब नई शिक्षा व्यवस्था में मनुस्मृति और कौटिल्य के अर्थशास्त्र की पढ़ाई की हिमायत करने वालों को आड़े हाथ लेते हैं।
अमर उजाला से बातचीत में इरफान हबीब ने अपनी राय जताई कि जिस देश में उपनिषद जैसे सर्वोत्तम ज्ञान के मौलिक ग्रंथ हों, उसमें मनुस्मृति और अर्थशास्त्र पढ़ाने की बात कहना हैरतअंगेज है। उपनिषद तो बहुत बड़ी चीज हैं। इनमें जीवन से संबंधित कोई ऐसा सवाल नहीं है, जिसका उत्तर नहीं दिया गया हो। उन्होंने मनुस्मृति और अर्थशास्त्र को जातिवाद को बढ़ावा देने वाले ग्रंथ करार दिया। उन्होंने कहा, दोनों धर्मग्रंथों में जाति पर आधारित दंड व्यवस्था की बात कही गई है। इनमें ब्राह्मणों को सबसे कम, शूद्रों और अस्पृश्यों को सबसे ज्यादा दंड देने की हिमायत की गई है। यही नहीं, जातियों के प्रादुर्भाव की भी कहानी भेदभावपूर्ण है।
ऋग्वेद पंजाब तो यजुर्वेद, अथर्व वेद उत्तर प्रदेश, बिहार में लिखा गया
इरफान हबीब ने बताया कि ऋग्वेद पंजाब तो यजुर्वेद व अथर्व वेद उत्तर प्रदेश और बिहार में लिखे गए हैं। वेदों में पूजापाठ और स्तुतियां हैं। चूंकि, ये मानव सभ्यता के सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं, इसलिए इनका विशेष महत्व है। इसमें देवी-देवताओं का जिक्र है। लेकिन इरफान यह भी कहते हैं कि वेदों में उपनिषदों जैसा गहन दर्शन नहीं है। ऋग्वेद की भाषा संस्कृत ईरानी धर्मग्रंथ अवेस्ता की भाषा से बहुत मिलती है। अगर आप संस्कृत पढ़ लें तो अवेस्ता आसानी से पढ़ लेंगे। यही बात अवेस्ता के लिए है, उसकी भाषा जानने वाला ऋग्वेद को समझ लेगा। पुराणों का महत्व इस बात का है कि इसमें प्राचीन राजघरानों की वंशावलियों का विस्तृत वर्णन है। उनसे मदद मिलती है।
पुरातत्व विज्ञान ने साबित किया कि आर्य कजाकिस्तान से आए
इरफान यह भी कहते हैं कि यूजीसी कहता है कि आर्य भारत से गए, यह पढ़ाओ। जबकि पुरातत्व विज्ञान के शोधों से साबित हो चुका है कि आर्य कजाकिस्तान से आए। माना जाना चाहिए कि द्रविड़ लोग ही यहां के मूल निवासी थे। यहां तक कि हड़प्पा सभ्यता में जिस भाषा का उपयोग हुआ है, वह अभी तक पढ़ी तो नहीं जा सकी है लेकिन अनुमान लगाया जाता है कि उनकी तमिल से समानताएं हैं। हड़प्पा की चित्रलिपि में मछली का काफी उपयोग हुआ है। तमिल में भी मछली के कई अर्थ हैं।
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