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भारतीय मूल के पूर्व मंत्री थर्मन शनमुगरत्नम।
– फोटो : Twitter
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सिंगापुर में जन्मे भारतीय मूल के पूर्व मंत्री थर्मन शनमुगरत्नम सिंगापुर के नए राष्ट्रपति चुन लिए गए हैं। उन्होंने 70.4% वोट के साथ देश की राष्ट्रपति पद की दौड़ में जीत हासिल की। सिंगापुर के चुनाव विभाग ने इस बारे में जानकारी दी। बता दें कि सिंगापुर में एक दशक से भी अधिक समय बाद देश के नौवें राष्ट्रपति चुनाव के लिए शुक्रवार को मतदान किया गया। इस चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला बताया जा रहा था।
त्रिकोणीय मुकाबले में थर्मन के अलावा देश के नौवें राष्ट्रपति की दौड़ में दो अन्य उम्मीदवार सिंगापुर सरकार इन्वेस्टमेंट कॉर्प (जीआईसी) के पूर्व मुख्य निवेश अधिकारी एनजी कोक सोंग और देश के स्वामित्व वाली संघ-आधारित बीमा समूह एनटीयूसी इनकम के पूर्व प्रमुख टैन किन लियान शामिल थे।
बता दें कि निवर्तमान राष्ट्रपति हलीमा याकूब (Halimah Yacob) का छह साल का कार्यकाल 13 सितंबर को समाप्त होगा। वह देश की आठवीं और पहली महिला राष्ट्रपति हैं। 2017 का राष्ट्रपति चुनाव एक आरक्षित चुनाव था, जिसमें केवल मलय समुदाय के सदस्यों को चुनाव लड़ने की अनुमति थी। तब हलीमा को राष्ट्रपति नामित किया गया था क्योंकि कोई अन्य उम्मीदवार नहीं था।
2011 के बाद पहला राष्ट्रपति चुनाव
सुबह-सुबह मतदान केंद्रों पर पहुंचने वाले लोगों में राष्ट्रपति हलीमा और प्रधानमंत्री ली सीन लूंग (Lee Hsien Loong) भी शामिल थे। 2011 के बाद यह पहला राष्ट्रपति चुनाव था। भारतीय मूल के 66 वर्षीय अर्थशास्त्री थर्मन ने देश की संस्कृति को दुनिया में “प्रसिद्ध स्थान” बनाए रखने के लिए विकसित करने के वादे के साथ जुलाई में औपचारिक रूप से अपना राष्ट्रपति अभियान शुरू किया था।
राष्ट्रपति पद के तीनों उम्मीदवारों का चयन सख्त मानदंडों के तहत किया गया है। सिंगापुर में राष्ट्रपति पद के लिए दावेदारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए कड़ी योग्यता प्रक्रिया है।2001 में राजनीति में शामिल हुए थर्मन ने दो दशकों से अधिक समय तक सत्तारूढ़ पीपुल्स एक्शन पार्टी (पीएपी) के साथ सार्वजनिक क्षेत्र और मंत्री पदों पर कार्य किया है। थर्मन महामारी संबंधी तैयारियों और मानव विकास सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपने अंतरराष्ट्रीय अनुभव का हवाला देकर समृद्ध देश के अगले राष्ट्रपति बनने के लिए अपनी योग्यता का समर्थन करते हैं। उनके पास सरकार और सिटी स्टेट के विदेशी मुद्रा भंडार का भी अनुभव है, जिसका अनुमान दो ट्रिलियन सिंगापुर डॉलर से अधिक है।
बता दें, सिंगापुर के अतीत में दो भारतीय मूल के राष्ट्रपति रह चुके हैं। सेलप्पन रामनाथन, जिन्हें एसआर नाथन के नाम से जाना जाता है, सिंगापुर के राजनेता और तमिल मूल के सिविल सेवक थे, जिन्होंने सिंगापुर में राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था।नाथन ने 2009 में बेंजामिन शियर्स को हराकर सिंगापुर में सबसे लंबे समय तक राष्ट्रपति रहने वाले शख्स बने। इसके बाद दूसरा नाम चेंगारा वीटिल देवन नायर का है, जिन्हें देवन नायर के नाम से जाना जाता है। देवन नायर ने 1981 से 1985 तक सिंगापुर के तीसरे राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था। 1923 में मलयेशिया के मलक्का में जन्मे नायर एक रबर बागान क्लर्क के बेटे थे, जो मूल रूप से केरल के थालास्सेरी के रहने वाले थे। सिंगापुर में पहला राष्ट्रपति चुनाव 28 अगस्त 1993 को हुआ था।
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