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बिहार के बहुचर्चित सृजन घोटाले की मुख्य आरोपी रजनी प्रिया को केंद्रीय जांच ब्यूरो ने बृहस्पतिवार को दिल्ली से सटे साहिबाबाद से गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने बताया कि बिहार के एनजीओ सृजन महिला विकास सहयोग समिति (एसएमवीएसएस) की सचिव रजनी प्रिया 1,000 करोड़ रुपये के घोटाले में छह साल से फरार थी। सीबीआई प्रवक्ता ने कहा, गिरफ्तार आरोपी एनजीओ संस्थापक मनोरमा देवी की बहू और एनजीओ की सचिव है और जांच की शुरुआत से ही फरार थी। उसे अदालत ने भगोड़ा घोषित किया था।
अधिकारियों के साथ रची साजिश
विशेष सीबीआई जज ने प्रिया को भगोड़ा घोषित करते हुए उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था। अधिकारियों ने कहा 2003 से 2014 के बीच रिकॉर्ड में हेराफेरी कर करीब 1,000 करोड़ रुपये के सरकारी धन के दुरुपयोग के आरोप में एजेंसी ने 2017 के बाद से 24 मामले दर्ज किए हैं। प्रवक्ता ने कहा, यह घोटाला बिहार के भागलपुर स्थित एनजीओ की संस्थापक मनोरमा देवी की मृत्यु के बाद सामने आया। बिहार सरकार की सिफारिश पर सीबीआई ने मामले की जांच अपने हाथ में ली थी। यह आरोप लगाया गया था कि उक्त एनजीओ के अधिकारियों ने जाली दस्तावेजों का उपयोग कर एनजीओ के खातों में सरकारी धन को हस्तांतरित करने के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ इंडिया सहित विभिन्न बैंकों के अधिकारियों के साथ साजिश रची थी। एजेंसी ने इस मामले में कई आरोप पत्र दायर किए हैं जिनमें भागलपुर के एक पूर्व जिला मजिस्ट्रेट सहित कई लोगों को आरोपी बनाया गया है।
डीएम के जाली हस्ताक्षर कर हुई सरकारी धन की लूट
इस घोटाले में सरकारी पैसे को सृजन एनजीओ के खाते में हस्तांतरित कर बंदरबांट की गई थी। स्थानीय पुलिस की प्रारंभिक जांच से पता चला कि एनजीओ अधिकारियों ने बैंकों से चेकबुक खरीदे और सरकारी धन को अपने खाते में हस्तांतरित करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट के जाली हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि सरकारी अधिकारियों और एनजीओ के पदाधिकारियों के बीच रची गई साजिश के माध्यम से भागलपुर जिले में सरकारी खातों से ‘समिति’ के खातों में धन का अवैध हस्तांतरण और दुरुपयोग किया गया।
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