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नई दिल्ली. ‘अगर पूरी शिद्दत से किसी चीज को चाहो तो सारी कायनात आपको उससे मिलाने में जुट जाती है.’ यह डायलॉग तो फिल्मी है, पर हकीकत से रूबरू कराने वाली. जिंदगी हो या खेल, ऐसी मिसालें आपको जरूर मिल जाएंगी, जिन्हें कामयाबी पाने में देर लगी. अकसर शुरुआत में उन्हें दुत्कार दिया गया, लेकिन उन्होंने अपने दम पर पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई. प्रखर चतुर्वेदी भी ऐसा ही नाम है, जिसे क्रिकेट बिरादरी ने समय पर नहीं पहचाना. उन्हें ना तो अंडर-16 भारतीय टीम में चुना गया और ना ही अंडर-19 टीम में. लेकिन प्रखर चतुर्वेदी ने जो मंच मिला, उसे ही इतना बड़ा बना दिया कि अब उन्हें जूनियर तो छोड़िए, सीनियर टीम में लेने की बात होने लगी है.
कर्नाटक के प्रखर चतुर्वेदी ने मुंबई के खिलाफ कूच बिहार ट्रॉफी के फाइनल में 404 रन की ऐतिहासिक पारी खेली. इसके साथ ही वे भारत के ऐसे पहले क्रिकेटर बन गए, जिन्होंने कूच बिहार ट्रॉफी के फाइनल में 400 रन का आंकड़ा पार किया है. प्रखर चतुर्वेदी से पहले फाइनल में सबसे बड़े स्कोर का रिकॉर्ड युवराज सिंह (358 रन) के नाम था, जो अब पीछे छूट गया. और पीछे छूट गई है प्रखर चतुर्वेदी की नजरअंदाज किए जाने की कहानी. अब वे ना सिर्फ कर्नाटक, बल्कि भारतीय चयनकर्ताओं की निगाहों पर जरूर आ गए हैं. बात करें प्रखर चतुर्वेदी की तो उनका क्रिकेट का संघर्ष जितना अहम है, उतना ही बैकग्राउंड दिलचस्प है. प्रखर की मां डीआरडीओ में साइंटिस्ट हैं, जबकि पिता इंजीनियर हैं.
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प्रखर चतुर्वेदी के कोच के. जसवंत ने इस युवा खिलाड़ी की कहानी क्रिकइंफो को बताई. जसवंत कहते हैं, ‘दुर्भाग्य से उसका (प्रखर) चयन अंडर-16 टीम में भी नहीं हुआ था. उसकी काबिलियत के बारे में सेलेक्टर्स को बताने-समझाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी. अंडर-19 टीम में चयन की कहानी भी लगभग ऐसी ही है. हालांकि, इस बार चयनकर्ता बड़ी मुश्किल से ही सही, पर मान गए और उसे मौका दे दिया. उसने भी तब सबसे बढ़िया खेल दिखाया, जब इसकी सख्त जरूरत थी.’
कर्नाटक के ऑलराउंडर के जसवंत कहते हैं, ‘प्रखर उन खिलाड़ियों के लिए नायाब मिसाल है, जो अंडर-19 टीम के लिए नहीं चुने गए, जो नकार दिए गए, लेकिन मेहनत नहीं छोड़ी. हैरानी नहीं होनी चाहिए यदि उन्हें कर्नाटक की सीनियर टीम में चुन लिया जाए.’
कर्नाटक की टीम को उसी दिन रणजी ट्रॉफी के मुकाबले में गुजरात से हार का सामना करना पड़ा, जिस दिन प्रखर चतुर्वेदी ने 404 रन की पारी खेली. दिलचस्प बात देखिए कि प्रखर चतुर्वेदी की ऐतिहासिक पारी की बदौलत जहां उनकी टीम ने मुंबई पर 510 रन की बढ़त ली, वहीं सीनियर टीम लक्ष्य से महज 6 रन दूर रह गई. मुंबई ने कूच बिहार के फाइनल में पहले बैटिंग करते हुए 380 रन बनाए. कर्नाटक ने इसके जवाब में 890 रन का पहाड़ खड़ा कर दिया. जबकि रणजी मुकाबले में कर्नाटक की टीम 110 रन के टारगेट का पीछा करते हुए 103 रन पर सिमट गई.
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Tags: Cricket Records, Karnataka, Ranji Trophy, Yuvraj singh
FIRST PUBLISHED : January 16, 2024, 08:47 IST
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