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नागपुर. लिवर शरीर के मुख्य अंगों में से एक अंग है भोजन के पाचन से लेकर उससे पोषक तत्वों के अवशोषण और रक्त को साफ करते हुए उसमें रसायनों के संतुलन को बनाए रखने जैसा महत्वपूर्ण कार्य लीवर का ही होता है।
वर्तमान जीवनशैली हमारे लिवर को किस तरह प्रभावित कर रही है?
यही कारण है कि हमें इसे स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है, क्योकि इस अंग में होने वाली छोटी सी भी समस्या का असर पूरे शरीर की सेहत को प्रभावित कर सकता है। लेकिन बदलती जीवन शैली और विशेषकर शराब पीने की आदत लिवर को भी बीमार कर रहा है। इसमें सबसे ज्यादा संख्या युवाओं की है, जिन्हें लिवर संबंधित बीमारियां अपनी गिरफ्त में ले रही हैं। एक बार लिवर खराब हुआ, तो एकमात्र उपाय लिवर ट्रांसप्लांट ही बचता है। यह कहना है एलेक्सिस के लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. राजविलास अनिल नारखेड़े का। उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि ओबेसिटी, डायबिटीज भी लिवर की बीमारी के सबसे प्रमुख कारण हैं।
लिवर खराब होने के महत्त्वपुर्ण लक्षण क्या है?
आज देखा जाये, तो 100 में से 20% एल्कोलिक व 30-40% मोटापे, फैटी लीवर, 20% हेपेटाइटिस बॉडी बी व सी इन्फेक्शन के विरुद्ध इम्यूनिटी का काम करना, अधिक दवाओं के सेवन जैसे कारणों से का काम करना, अधिक दवाओं के सेवन जैसे कारणों से लिवर के मरीजों की संख्या दिन-प्रति-दिन बढ़ती जा रही है। बच्चों में यह बीमारी देखी जा रही है। लक्षण को नजर अंदाज न करें डॉ. नारखेड़े कहते हैं कि जिन लोगों में लिवर खराब होता है तो उन्हें खून की उल्टी आना, पेट में पानी भरना, थकान, पीलिया, मेंटली डिस्टर्ब और लगातार वजन कम होते रहने की समस्याओं का अनुभव होता है। आमतौर पर जिन लोगों को हेपेटाइटिस बी व सी, लिवर सिरोसिस जैसी बीमारियां होती हैं, उनमें लिवर खराब होने का खतरा ज्यादा होता है। लिवर खराब होना की समस्या को विकसित होने में एक से सवा साल से अधिक का समय लग सकता है।
लिवर को स्वस्थ कैसे रखा जा सकता है?
लिवर कमजोर होने के साथ ही स्थिति गंभीर होती जाती है। लिवर को स्वस्थ रखने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां, सलाद, संतुलित आहार, मीठा कम खाना, दैनिक व्यायाम, वजन संतुलित रखना, अल्कोहल, धूम्रपान का सेवन बंद करना चाहिए। वे बताते हैं कि आज एलेक्सिस हॉस्पिटल में हर रोज 6 से 7 मरीज लिवर से संबंधित आते हैं। इसमें से जो दवाइयों से ठीक हो सकते हैं, उनका वैसा ट्रीटमेंट किया जाता है।
लिवर ट्रांसप्लांट कि जरूरत कब पड़ती है और प्रक्रिया क्या है?
वहीं जिनका लिवर ज्यादा ही खराब होता है, तो फिर उनका पूरी प्रक्रिया के साथ ट्रीटमेंट शुरू किया जाता है। लिवर खराब हुआ, तो उसका एकमात्र इलाज ट्रांसप्लांट ही होता है। इसमें हॉस्पिटल की पूरी टीम द्वारा कार्य किया जाता है। लिवर ट्रांसप्लांट एक ऑपरेशन है, जिसमें शरीर से रोगग्रस्त या क्षतिग्रस्त लिवर को निकालकर उसके बदले में एक स्वस्थ लिवर प्रत्यारोपित किया जाता है। इसमें सबसे बड़ा जोखिम यह है कि शरीर नए अंग को अस्वीकार कर सकता है। ऐसा होने से रोकने के लिए शेष जीवन में इम्यून सिस्टम की कार्यक्षमता कम करने के लिए दवा लेनी होती है। अब एलेक्सिस हॉस्पिटल में 17 लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी की जा चुकी है। इसमें से 11 ट्रांसप्लांट लिविंग रिलेटेड व 6 ट्रांसप्लांट डिसीज्ड रिलेटेड किये गये। इसमें से 2 से 3 डोनर की सर्जरी लेप्रोस्कोपिक द्वारा की गई। वहीं लिवर ट्रांसप्लांट लीवर कैंसर में भी किये जाते हैं। डिसीज्ड ऑर्गन डोनेशन में ब्रेन डेड वाले व्यक्ति का लिवर निकाला जाता है। लिविंग डोनर लिवर ट्रांसप्लांट में एक लिविंग डोनर से लीवर का एक हिस्सा निकाला जाता है। क्योंकि लिवर स्वयं से दोबारा बन सकता है, यानी प्रत्यारोपित हिस्सा और दानकर्ता के लिवर का शेष हिस्सा दोनों ही फिर से सामान्य आकार के लीवर में विकसित होने में सक्षम होते हैं।
समाज को होना होगा जागरूक
वे कहते हैं कि आज लिवर के मरीज बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन इसके मुकाबले लिवर दाताओं की संख्या बहुत कम है। इसे देखते हुए हमारे देश के नागरिकों को जागरूक होकर स्वयं ही अपनी लाइफ में ऑर्गन डोनेट के लिए आगे आना होगा। अभी कुछ लोग स्वयं स्फूर्ति से आगे आ भी रहे हैं। लेकिन इसकी संख्या बढ़नी चाहिए। आज भारत के मुकाबले कई देश ऐसे हैं, जहां पर आर्गन डोनेशन का नियम ही बन गया है। भारत में ऑर्गन डोनेशन का प्रमाण धीरे धीरे बढ़ते जा रहा है इसलिए अच्छा बचाव ही अच्छा इलाज है।
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