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इस्लामाबाद: पाकिस्तान में महंगाई चरम पर है और आम जनता बेहाल है। पाक मौजूदा समय में गंभीर आर्थिक चुनौतियों से घिरा है। हाल ये है कि लगातार बढ़ती महंगाई ने आम लोगों की कमर तोड़कर रख दी है। आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को शायद अब ये समझ आ रहा है कि भारत के साथ उसके व्यापारि रिश्तों की क्या अहमियत है। हाल ही में पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सभी राजनीतिक दलों से मौजूद समस्याओं से निपटने के लिए मतभेदों को दरकिनार करने का आग्रह किया था। अब इसी क्रम में पाकिस्तान के विदेश मंत्री एक कदम और आगे निकल गए हैं और भारत के साथ व्यापार संबंधों को बहाल करना चाहते हैं।
क्या बोले पाकिस्तान के विदेश मंत्री
पाकिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद इसहाक डार ने कहा है कि उनका देश ‘गंभीरता’ के साथ भारत से व्यापार संबंधों को बहाल करने पर विचार कर रहा है। उनका यह बयान पड़ोसी देश के साथ राजनयिक रुख में संभावित बदलाव का संकेत माना जा रहा है। भारत के साथ पाकिस्तान के व्यापार संबंध अगस्त, 2019 से निलंबित हैं। ‘जियो न्यूज’ की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रसेल्स में परमाणु ऊर्जा शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद डार ने लंदन में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान यह टिप्पणी की। उन्होंने इस बात का संकेत दिया कि नकदी संकट से जूझ रहे उनके देश का व्यापारिक समुदाय भारत के साथ व्यापारिक गतिविधियां फिर शुरू करने का इच्छुक है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘पाकिस्तानी कारोबारी चाहते हैं कि भारत के साथ व्यापार फिर से शुरू हो।’’ उन्होंने कहा कि हम भारत के साथ व्यापार संबंध फिर बहाल करने पर विचार करेंगे।
साफ है भारत का रुख
‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार ने डार के हवाले से कहा, ‘‘हम भारत के साथ व्यापार के मामलों को गंभीरता से देखेंगे।’’ उनकी टिप्पणियां भारत के प्रति राजनयिक रुख में संभावित बदलाव का संकेत देती हैं। भारत सरकार की तरफ से संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ अपनी राजनयिक गतिविधियों को काफी कम कर दिया था। हालांकि, पाकिस्तान लगातार कहता रहा है कि दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने की जिम्मेदारी भारत पर है। पाकिस्तान का कहना था कि भारत के साथ बातचीत शुरू करने की पूर्व शर्त के तौर पर उसे (भारत को) कश्मीर में अपने ‘एकतरफा’ कदमों को वापस लेना होगा। भारत ने हालांकि इस सुझाव को खारिज कर दिया है और पाकिस्तान को स्पष्ट कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का संपूर्ण केंद्र शासित प्रदेश देश का अभिन्न हिस्सा है। भाषा
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