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Hallucinations: आरपीएफ जवान के जयपुर-मुंबई एक्सप्रेस ट्रेन में अंधाधुंध फायरिंग की घटना ने सभी को सकते में डाल दिया है. इस घटना में आरपीएफ के एक एएसआई समेत कुल चार लोगों की मौत हो गई. दर्ज कराई गई एफआईआर के मुताबिक, आरोपी आरपीएफ सिपाही चेतन सिंह अस्वस्थ महसूस करने के कारण अपनी शिफ्ट खत्म होने से पहले ही ड्यूटी से फ्री होना चाहता था. जब उसके सीनियर्स ने ड्यूटी पूरी करने के बाद ही छुट्टी देने को कहा तो उसने गुस्से में आकर आरपीएफ के एएसआई टीकाराम मीणा और तीन यात्रियों को गोली मार दी. बताया जा रहा है कि 33 वर्षीय कांस्टेबल चेतन सिंह हैलुसिनेशंस यानी मतिभ्रम की समस्या से ग्रस्त है. जानते हैं कि क्या ये कोई दिमागी बीमारी है?
मतिभ्रम या हैलुसिनेशंस से ग्रस्त व्यक्ति को किसी बाहरी कारण के बिना ऐसी चीजें दिखाई या सुनाई देते हैं, जो असल में होती ही नहीं हैं. मतिभ्रम में व्यक्ति का दिमाग तो जाग्रत अवस्था में होता है, लेकिन उसे ऐसा लगता है, जैसे वो कोई सपना देख रहा हो. हैलुसिनेशंस ऐसी धारणाएं हैं, जो बिना किसी बाहरी उत्तेजना के होती हैं. इसमें व्यक्ति की कोई भी इंद्रियां शामिल हो सकती हैं. मतिभ्रम आवाजों, दृश्यों, चित्रों, स्पर्श के तौर पर हो सकता है. उदाहरण के लिए मतिभ्रम से ग्रस्त व्यक्ति को कोई आदमी-औरत, परछाईं या रोशनी दिखाई दे सकती है, जो असल में वहां नहीं है. वहीं, कुछ ऐसी आवाजें या शरीर पर कुछ चलने या रेंगने का अनुभव हो सकता है. कुछ लोगों को बिना कुछ खाए या पिए ही स्वाद का अनुभव हो सकता है.
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क्या मेंटल हेल्थ खराब होने पर होता है मतिभ्रम
अगर आपको लगता है कि मतिभ्रम सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य खराब होने के कारण होता है, तो आप गलत हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, ये सिर्फ मेंटल हेल्थ खराब होने के कारण ही नहीं होता है. इसके लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं. वहीं, काफी लोग मतिभ्रम और भ्रम को एक मानने की भूल करते हैं. दरअसल, दोनों के नतीजे काफी अलग होते हैं. इन दोनों के फर्क को उदाहरण के जरिये समझते हैं. अगर किसी व्यक्ति को ये लगे कि उसके कमरे में रोज रात को कोई टहलता है तो ये भ्रम है, लेकिन जब उसे उस टहलने वाले की आकृति और उसके कदमों की आहट भी सुनाई देने लगे तो ये मतिभ्रम है.
मतिभ्रम या हैलुसिनेशंस से ग्रस्त व्यक्ति को किसी बाहरी कारण के बिना ऐसी चीजें दिखाई या सुनाई देते हैं, जो असल में होती ही नहीं हैं.
किन-किन कारणों से हो सकता है हैलुसिनेशन
मतिभ्रम दृश्य, सुनना, सूंघना, स्वाद, स्पर्श, प्रोप्रियोसेप्टिव, संतुलन, नोसिसेप्टिव, थर्मोसेप्टिव और क्रोनोसेप्टिव किसी भी तरीके का हो सकता है. अगर एक से ज्यादा संवेदी तौर-तरीके घटित होते हैं तो मतिभ्रम को मल्टीमॉडल माना जाता है. सिजोफ्रेनिया में श्रवण मतिभ्रम बहुत आम है. मतिभ्रम सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य के बिगड़ने या गड़बड़ी के कारण ही नहीं होता है. मेंटल हेल्थ की गड़बड़ी के अलावा ये नशीली दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल, नींद की कमी, तंत्रिका संबंधी दिक्कतों के कारण भी हो सकता है. स्लीप पैरालिसिस के दौरान कई मतिभ्रम या मल्टीमॉडल हैलुसिनेशंस होते हैं. इसके अलावा बाईपोलर डिसऑर्डर, डिप्रेशन और पीटीएसडी के कारण भी मतिभ्रम हो सकता है.
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कुछ लोगों के लिए सुखद अनुभव है हैलुसिनेशन
आपने देखा होगा कि किसी को बहुत तेज बुखार आया और वह अजीब-अजीब बातें बड़बड़ाने लगता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, बहुत तेज बुखार आने पर भी मतिभ्रम हो सकता है. वहीं, दिमाग और ऑप्टिक नर्व्स में दिक्कत होने पर भी मतिभ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है. वहीं, पार्किंसंस रोग के ज्यादातर मरीजों में दृश्य, श्रवण और स्पर्श से जुड़े हैलुसिनेशंस होते हैं. जिन लोगों को मिर्गी के दौर पड़ते हैं या माइग्रेन की दिक्कत होती है, उन्हें भी मतिभ्रम हो सकता है. कुछ लोगों को मतिभ्रम होने पर जबरदस्त डर का अनुभव होता है. वहीं, कुछ लोगों के लिए हैलुसिनेशंस खुशी का कारण भी बनते हैं. अगर आपके आसपास किसी को हैलुसिनेशंस होते हैं, तो उससे दूर भागने के बजाय उसकी मदद करें.
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हैलुसिनेशन शब्द की उत्पत्ति किसने और कब की
मतिभ्रम को 17वीं सदी से पहले तक सामान्य तौर पर धार्मिक कारणों से जोड़ा जाता था. ‘हैलुसिनेशन’ शब्द को अंग्रेजी भाषा में 17वीं शताब्दी के चिकित्सक सर थॉमस ब्राउन ने 1646 में लैटिन शब्द अलुसिनारी के जरिये बनाया था. इसका मतलब दिमाग का घूमना है. सर थॉमस ब्राउन के लिए मतिभ्रम का अर्थ ऐसी दृष्टि है, जो भ्रष्ट है और अपनी वस्तुओं को गलत तरीके से पेश कर रही है. मतिभ्रम को 1600 से 1700 की सदी के बीच मानसिक और शारीरिक दोनों तरह की बीमारियों के तौर पर समझा जाता था. डॉक्टर्स आज भी इसी नजरिये से हैलुसिनेशंस को समझते और उसका निदान करते हैं.
मतिभ्रम को 17वीं सदी से पहले तक सामान्य तौर पर धार्मिक कारणों से जोड़ा जाता था.
अगर मतिभ्रम से ग्रस्त हैं तो क्या करना चाहिए
अगर आपके आसपास किसी व्यक्ति को मतिभ्रम हो रहा है तो उससे बात कर अनुभव साझा करने के लिए कहें. जब वह अपना अनुभव बताएं तो बिना टोका-टाकी किए उसकी बात सुनें. मतिभ्रम से ग्रस्त व्यक्ति से अगर आप बहस करते हैं तो ये उसकी समस्या को बढ़ा सकता है. लिहाजा, सिर्फ ध्यान से सुनें. आपको ये मानना पड़ेगा कि उसे जो दिखाई या सुनाई दे रहा है, वो उसके लिए वास्तविक है. बातचीत के दौरान आप उस व्यक्ति को सांत्वना दें. जितना संभव हो उस व्यक्ति की देखभाल करें और हालात बिगड़ने से पहले उसे डॉक्टर के पास ले जाने की कोशिश करें.
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Tags: Crime News, Health News, Indian railway, Mental diseases, RPF
FIRST PUBLISHED : August 02, 2023, 21:34 IST
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