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हाइलाइट्स
नींद में बोलने की समस्या पैरासोमनिया कहलाती है, जिसका मतलब है सोते समय अस्वाभाविक व्यवहार करना.
नींद में बात करना किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन ये स्वास्थ्य की बीमारी के ओर संकेत करते हैं.
Sleep talking disorder: रात को सोते समय कई लोगों में खुद से बातें करने की आदत होती है. यह आदत आपकी पार्टनर, परिवार के सदस्यों और घर आए रिश्तेदारों को भी परेशान कर सकती है. ये समस्या बेशक आपको नॉर्मल लगती हो, लेकिन नजरअंदाज करना गलत है. इस समस्या आपको कई और परेशानियों में डाल सकती है. हालांकि, कई लोगों का मत है कि सपना देखते हैं, इसलिए बड़बड़ाते हैं. लेकिन एक्सपर्ट इसको थकान और स्ट्रेस के कारण होने वाली बीमारी का कारण मानते हैं. आइए गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज (कन्नौज) के कम्युनिटी मेडिसिन हेड प्रोफेसर डॉ. डीएस मर्तोलिया से जानते हैं नींद में बड़बड़ाने का क्या है कारण और कैसे कर सकते हैं बचाव-
इन कारणों की हो सकती है आदत
नींद में बोलने की समस्या पैरासोमनिया कहलाती है. इसका मतलब है कि सोते समय अस्वाभाविक व्यवहार करना. सामान्यता देखा गया है कि कुछ लोग नींद में 30 सेकेंड तक बोलते हैं, तो कुछ इससे ज्यादा. नींद में बात करना किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन ये नींद विकार या स्वास्थ्य की बीमारी के ओर संकेत जरूर करते हैं. इसे आरईएम स्लीप बिहेवियर डिसऑर्डर भी कहा जाता है. जब आप नींद में चीखना, चिल्लाना आदि हरकतें करते हैं तो सावधानी जरूर बरतनी चाहिए. क्योंकि यह डिमेंशिया, पार्किंसन जैसी बीमारियों के भी लक्षण हो सकते हैं. आरईएम नींद उस नींद को कहते हैं, जिसमें सोते समय कोई व्यक्ति सपना देखता है. कई बार मानसिक तनाव, स्वास्थ्य समस्याएं, मेडिकेशन के साइड इफेक्ट्स से भी यह समस्या हो सकती है.
इन हानिकारक चीजों से रखें दूरी
शराब छोड़ें: शराब पीना सेहत के लिए हानिकारक है. कुछ लोग शराब पीने के इतने आदी हो जाते हैं कि तन-बदन तक का ख्याल नहीं रहता है. कई बार इसका असर सीधे दिमाग पर पड़ता है. इसी के चलते ऐसे लोग सोते वक्त पुरानी बातों को बड़बड़ाने लगते हैं. इसके लिए बेहतर है कि शराब को छोड़ दें. जैसे-जैसे शराब पीने की लत कम होगी, वैसे-वैसे समस्या भी कम होने लगती है.
तनाव मुक्त रहें: नींद में बड़बड़ाना बेशक बीमारी ना हो, लेकिन एहतियात बरतना जरूरी है. इसके लिए बेहतर है कि खुद को तनाव मुक्त रखें. यदि आपको ऑफिस के काम में तनाव है तो उसे जितनी जल्द हो छोड़ दें. ताकि इस समस्या से निजात मिल सके. यदि संभव हो तो मेडिटेशन जरूर करें. बता दें कि, तनाव की वजह से दिमाग में हमेशा एक अजीब सा दबाव रहता है, जिससे बेहतर नींद नहीं आती है. यही कारण बड़बड़ाने की बजह बन जाता है.
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अधिक कैफीन से बचें: यदि किसी को नींद में बड़बड़ाने की आदत है तो कैफीन-चाय के अधिक सेवन से बचना चाहिए. बता दें कि, रात में कैफीन वाली चीजों को लेने से आपकी नींद प्रभावित होती है, जो स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है.
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एक्सपर्ट की सलाह जरूरी: नींद में बोलने या बड़बड़ाने की आदत लगातार बनी हुई है, तो इसे नजरअंदाज करने से बचें. यदि आपको भी इस तरह की समस्या है तो किसी साइकियाट्रिस्ट जरूर सलाह लेना चाहिए. हालांकि, नींद में बोलने की आदत का कोई इलाज नहीं है और ना ही कोई दवा है, तो बेहतर होगा कि किसी साइकियाट्रिस्ट से ही इस समस्या का समाधान तलाशें.
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Tags: Health, Health tips, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : July 22, 2023, 10:23 IST
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