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राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय नगर बलिया की चिकित्साधिकारी डॉ. प्रियंका सिंह ने बताया कि यह कैंसर, मिर्गी, जुकाम, बुखार, खांसी, गठिया, छाती की संकुचन, मधुमेह, दांतों के रोग, मसूड़ों के संक्रमण, मसूड़ों का दर्द, त्वचा के रोग, सूजन, फोड़े, छाले, पसीना या चमड़े में जलन, कब्ज, पेट दर्द, गैस, उल्टी इत्यादि में बेहद फायदेमंद है. इसके पत्ते या तने का कल्प बनाकर लेप करने से पुराने से पुराने घाव भर जाते हैं.
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