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वाशिंगटन: अमेरिका में भारतीय छात्रों की सुरक्षा बड़ा मु्द्दा बन गया है। अमेरिका की तरफ से इस बात की कोशिशें लगातार की जा रही हैं कि भारत से आने वाले छात्रों को बेहतर माहौल दिया जा सके। एक प्रख्यात भारतीय-अमेरिकी शिक्षाविद ने इस साल भारतीय मूल के या भारत से आने वाले 11 विद्यार्थियों की मौत की खबरों के बीच यह बात कही है। शिक्षाविद ने के कथन के बीच यहां यह भी देखा जाना चाहिए कि अमेरिका में भारतीयों पर हमले की घटनाओं ने भारतीय समुदाय और भारत में रहने वाले विद्यार्थियों के परिजनों की चिंता बढ़ा दी है। अमेरिका में हुई भारतीयों की मौतों के पीछे हमलावरों के मकसद का फिलहाल पता नहीं चल पाया है। भारतीय राजनयिक मिशनों ने छात्रों के साथ संपर्क साधने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
‘अभिभावकों का चिंतित होना स्वाभाविक’
वर्जीनिया के जॉर्ज मेसन यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग के डिविजनल डीन गुरदीप सिंह ने इंटरव्यू में ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ”यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस वर्ष ऐसी घटनाएं हुईं और इतनी तादाद में हुईं, इसलिए अभिभावकों का चिंतित होना स्वाभाविक है। मेरा मतलब है कि अगर मैं एक अभिभावक हूं और मेरा बच्चा किसी दूसरे देश में हैं, जहां इस तरह की घटनाएं हो रही हैं तो मैं भी निश्चित तौर पर उसे लेकर चिंतित रहूंगा।”
‘…तब घटना का मकसद सामने आता’
गुरदीप सिंह ने कहा, ”लेकिन मैं जो देख रहा हूं वो यह है कि मुझे ऐसा कोई कारण या मुद्दा नहीं दिखा, जिसे देखकर लगे कि ये अपराध घृणा से प्रेरित हों।” सिंह ने कहा, ”मुझे तब ज्यादा चिंता होती जब किसी एक विश्वविद्यालय में ऐसा हुआ होता, और लगातार तीन या चार घटनाएं होती तब कहीं घटना का मकसद सामने आता। लेकिन कम से कम मेरी जानकारी के अनुसार, मुझे घृणा से प्रेरित अपराध या भारतीय विद्यार्थियों को निशाना बनाकर किए जाने वाले हमले का कोई कारण नहीं दिखता है।”
अमेरिका में बढ़ी भारतीय छात्रों की संख्या
गुरदीप सिंह ने कहा कि भारतीय विद्यार्थियों को ऐसी घटनाओं के प्रति अधिक सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है। ‘इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एजुकेशन’ की ‘ओपन डोर्स रिपोर्ट’ के अनुसार, अमेरिका में भारतीय विद्यार्थियों की संख्या 2014-2015 में 1,32,888 थी, जो 2024 में लगभग तीन गुना बढ़कर 3,53,803 हो गई है। (भाषा)
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