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NASA on Moon Mission: भारत के चंद्रयान मिशन की कामयाबी को दुनिया सराह रही है। भारत की इस कामयाबी का लोहा पूरी दुनिया ने माना है। इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन यानी ‘इसरो’ ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान3 उतारकर दुनिया में भारत का नाम रोशन कर दिया है। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान सफलतापूर्वक उतारने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है।
भारत का चंद्रयान मिशन कामयाब हो चुका है। इसके बाद अब दुनियाभर की स्पेस एजेंसियां अपने चंद्रमा मिशन में तेजी ला रही हैं। जापान ने अपना चंद्रयान प्रक्षेपित कर दिया है, जो अगले साल चंद्रमा पर पहुंचेगा। वहीं अब भारत की सफलता से सबक लेकर अमेरिकी स्पेस एजेंसी ‘नासा’ भी चंद्रयान भेजने की कवायदों में जुट गई है। जानिए क्या है नासा का मिशन चंद्रमा?
अमेरिकी स्पेस एजेंसी ‘नासा’ द्वारा चांद पर अंतरिक्ष यान भेजने के लिए एक चंद्रमा रोवर बनाया जा रहा है। इसका नाम ‘वोलेटाइल्स इन्वेस्टिगेटिंग पोलर एक्सप्लोरेशन रोवर’ (VIPER) है। नासा इसे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अगले साल यानी 2024 के अंत में पहुंचाना चाहता है। नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर के इंजीनियरों ने रोवर के प्रोटोटाइप को रैंप से नीचे उतारने का टेस्ट किया। अलग-अलग तरह से उतरने के लिए रैंप को कई कोण पर झुकाया गया।
नोबल क्रेटर के पास उतरेगा ‘नासा’ का यान
यह रोवर जिस लैंडर में जाएगा उसे एक प्राइवेट कंपनी एस्ट्रोबोटिक की ओर से बनाया जा रहा है। यह चांद के नोबेल क्रेटर के पास उतरेगा। नासा ने तैयारियों से जुड़ा वीडियो भी शेयर किया। इसमें दिख रहा है कि एक प्रोटोटाइप रोवर धीरे-धीरे लैंडर से सतह की ओर बढ़ रहा है। एक ट्वीट में नासा अधिकारियों ने लिखा, ‘हमारा वाइपर रोवर प्रोटोटाइप अपने चंद्रमा लैंडर से बाहर निकलने का अभ्यास कर रहा है। रोवर 2024 के अंत में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भविष्य के लैंडिंग स्थल के पास पहुंचने के लिए तैयार है।’ नासा का कहना है कि यह रोवर 2025 या 2026 से पहले आर्टेमिस 3 मिशन के लैंडिंग साइट के पास जाएगा और कुछ महत्वपूर्ण प्रयोग करेगा। नासा के मुताबिक VIPER का मुख्य मिशन चंद्रमा की सतह पर बर्फ की खोज करना है।
भारत ने सबसे पहले बताया कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर है पानी
भारत के चंद्रयान एक मिशन से पता चला था कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी है। यहां के कई क्रेटर हैं, जहां सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचती वहां पानी बर्फ के रूप में मौजूद हैं। यहां कितनी बर्फ है इसका पता नहीं चल सका है। इसकी जानकारी पाने के लिए जमीनी मिशन चलाने की जरूरत पड़ेगी। गौरतलब है कि भारत के इसरो द्वारा भेजे गए चंद्रयान 3 की सफलता के बाद भारत के प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर ने चंद्रमा की दुर्लभ तस्वीरें भेजी हैं। ये तस्वीरें सिर्फ भारत के पास हैं।
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