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Maldives and India: जब से मोहम्मद मोइज्जू मालदीव के राष्ट्रपति बने हैं, तभी से वे भारत विरोधी निर्णय ले रहे हैं। मोहम्मद मोइज्जू को चीन का समर्थन् प्राप्त है। पहले जब वे विपक्ष में थे, तब भारत के खिलाफ ‘जहर’ उगलते थे। अब राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद उन्होंने सबसे पहले मालदीव में दशकों से तैनात भारतीय सैनिकों को वापस अपने देश भेजने की बात कही है। वहीं अब भारत से एक और अहम समझौता भी खत्म करने की घोषणा कर दी है। जानिए क्या है वो खास समझौता?
मुस्लिम देश मालदीव ने हाल ही में भारतीय सैनिकों को जो कि मालदीव में दशकों से तैनात हैं, उन्हें वापस भारत भेजने की बात के बाद कवायद शुरू कर दी है। वहीं अब भारत के साथ एक अहम समझौता तोड़ रहा है। इसके चलते भारत को मालदीव से अपने सैन्य कर्मियों को वापस लेने के लिए कहने के बाद राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारतीय नौसेना और मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल के बीच जल विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग के लिए 2019 के समझौते को खत्म करने का फैसला किया है।
जो समझौता रद्द हुआ, उस पर पीएम नरेंद्र मोदी ने किए थे हस्ताक्षर
मालदीव की राजधानी माले ने गुरुवार को भारत को उस समझौते को रद्द करने के अपने फैसले के बारे में बताया, जिस पर जून 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते से भारतीय नौसेना को नेविगेशन सुरक्षा, आर्थिक विकास, सुरक्षा और रक्षा सहयोग, पर्यावरण संरक्षण, तटीय क्षेत्र प्रबंधन और वैज्ञानिक अनुसंधान में सुधार में मदद के लिए मालदीव में व्यापक हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने की अनुमति मिली थी।
पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह के समय हुआ था यह समझौता
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू के पूर्ववर्ती इब्राहिम सोलिह ने भारत के साथ जिस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, उसके तहत नौसेना ने अब तक 3 ऐसे सर्वेक्षण किए हैं। मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भविष्य में हाइड्रोग्राफी कार्य 100 प्रतिशत मालदीव के अधिकार में किया जाएगा और केवल मालदीव के लोगों को ही इसकी जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने जिन ‘गुप्त समझौतों’ पर हस्ताक्षर किए हैं, उनकी समीक्षा का जाएगी। मोइज्जू प्रशासन का यह दावा है कि ‘पिछली सरकार ने मालदीव की स्वतंत्रता और संप्रभुता को खतरे में डाल दिया था।’
50 करोड़ डॉलर की परियोजनाएं थीं शामिल
मोमुइज्जू के नेतृत्व वाली नई सरकार ने पिछले महीने ही सत्ता संभाली है। जिसे व्यापक रूप से चीन समर्थक के रूप में देखा जाता है। मोइज्जू ने पहले कहा था कि वह उन कुछ समझौतों की समीक्षा करेगी, जिन पर पिछली सरकार ने भारत के साथ हस्ताक्षर किए थे। इसके साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ काम में तेजी लाने के प्रयासों की भी अपील की थी। इनमें सबसे प्रमुख 50 करोड़ डॉलर की ग्रेटर मेल कनेक्टिविटी परियोजना जैसी परियोजनाएं शामिल हैं। मुइज्जू उन भारतीय सैन्यकर्मियों को बाहर निकालने पर भी आमादा है, जो भारत से माले को उपहार में दिए गए 2 नौसैनिक हेलिकॉप्टरों और एक डोर्नियर विमान के संचालन और रखरखाव में शामिल हैं।
मोइज्जू सरकार को है चीन का समर्थन
मालदीव में जब से मोइज्जू की सरकार बनी है, तभी से वह भारत विरोधी निर्णय ले रहे हैं। इससे पहले जो सरकार सत्ता में थी, उसे भारत का समर्थन प्राप्त था। यही कारण है कि मोइज्जू की सरकार भारत से समझौते तोड़ रही है। मोइज्जू की सरकार को चीन का पक्षधर माना जाता है।
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