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नई दिल्ली में जी-20 सम्मेलन का आगाज हो चुका है। विदेशी मेहमान भारत की धरती पर आने शुरू हो गए हैं। कल शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के भी नई दिल्ली पहुंचने की संभावना है। वह यहां पीएम मोदी के साथ जी-20 से पहले द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। भारत की जी-20 अध्यक्षता पर अमेरिका को बहुत अधिक भरोसा है। इसलिए अमेरिका चाहता है कि भारत की अध्यक्षता में जी20 देश अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक जैसे बहुपक्षीय विकास बैंकों को नया आकार देने और उन्हें बढ़ाने में मदद करें। अमेरिका को लगता है कि भारत में वह क्षमता है, जो इसमें मदद कर सकता है। व्हाइट हाउस के एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही। अमेरिका इससे पहले भी कई बार भारत की जी-20 अध्यक्षता और इसके नेतृत्व के लिए पीएम मोदी की तारीफ कर चुका है। ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक भी प्रधानमंत्री मोदी के करिश्माई नेतृत्व की सराहना करते नहीं थक रहे।
अमेरिका में रणनीतिक संचार के लिए व्हाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के समन्वयक जॉन किर्बी ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन की भारत यात्रा के दौरान अमेरिका यह स्पष्ट कर देगा कि वह जी20 के लिए प्रतिबद्ध है, जो कि वैश्विक समस्या-समाधान के वास्ते दुनिया की सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को साथ लाने वाला एक महत्वपूर्ण मंच है। अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को नयी दिल्ली पहुंचेंगे।
आइएमएफ और विश्व बैंक को नया आकार मिलने की उम्मीद
किर्बी ने बुधवार को यहां विदेशी पत्रकारों से कहा, ‘‘ जी20 में जाने के लिए हमारा एक मुख्य लक्ष्य विश्व बैंक की तरह आईएमएफ जैसे बहुपक्षीय विकास बैंकों को नया आकार देने और उन्हें बढ़ाने में मदद करना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हम जानते हैं कि ये संस्थान विकासशील देशों में पारदर्शी और उच्च गुणवत्ता वाले निवेश जुटाने के लिए सबसे प्रभावी उपकरणों में से कुछ हैं। यही वजह है कि अमेरिका ने इन संस्थानों को विकसित करने के लिए वर्तमान में जारी प्रमुख प्रयासों का समर्थन किया है ताकि वे भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहें।’’ जी20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (27 सदस्यीय समूह) शामिल हैं। जी20 सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का करीब 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और करीब दो-तिहाई वैश्विक आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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