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भारत ने एक बार फिर चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआइ) का कड़े लहजे में विरोध किया है। भारत ने लगातार तीसरी बार चीन के इस सम्मेलन में शामिल होने से इनकार कर दिया है। भारत चीन की विवादित ‘सीपीईसी’ परियोजना से जुड़े संप्रभुता के मुद्दे और छोटे देशों में इस परियोजनाओं से उत्पन्न वित्तीय व्यावहारिकता के मुद्दों पर अपने रुख को एक बार फिर दुनिया के सामने साफ कर रहा है। चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपेक) पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरता है, जिसपर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है।
चीन द्वारा दो दिवसीय ‘बेल्ट एंड रोड फोरम फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन’ (बीआरएफआईसी) का आयोजन आर्थिक रूप से अव्यावहारिक मानी जा रही परियोजनाओं के लिए अरबों डॉलर का ऋण श्रीलंका जैसे छोटे देशों को देने और उन्हें कर्ज के जाल में फंसाने को लेकर हो रही आलोचना के बीच होने जा रहा है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की महत्वकांक्षी परियोजना ‘बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) के 10 वर्ष होने के अवसर पर यह शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया है। इससे पहले चीन ने 2017 और 2019 में भी बीआरआई को लेकर दो सम्मेलन किए थे जिनसे भारत ने दूरी बनाए रखी थी।
भारत ने बीआरआइ को बताया संप्रभुता के खिलाफ
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पूर्व के दो बीआरआई सम्मेलनों की तरह भारत इस बार भी इसमें शामिल नहीं होगा। भारत बीआरआई का विरोध करने के अपने रुख पर कायम है। खासतौर पर 60 अरब डॉलर के ‘सीपीईसी’, की जो भारत की संप्रभुता चिंताओं को दरकिनार कर पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर (पीओके) से गुजर रही है। भारत बीआरआई का मुखर आलोचक रहा है और उसका स्पष्ट रूप से कहना है कि परियोजना सार्वभौमिक मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय नियमों, सुशासन और कानून के राज के तहत संचालित होनी चाहिए और इसे लागू करने के दौरान खुलापन, पारदर्शिता और वित्तीय स्थिरता के सिद्धांत का अनुपालन किया जाना चाहिए।
भारत के अलावा बीआरआई सम्मेलन में जुटेंगे 140 देश
चीन के उप विदेश मंत्री मा जाओशू ने सम्मेलन से पहले सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ को बताया, ‘‘चीन में इस साल बीआरएफआईसी सबसे अहम राजनयिक कार्यक्रम है और बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव के 10वीं वर्ष पर सबसे महत्वपूर्ण आयोजन है।’’ उन्होंने बताया, ‘‘अबतक करीब 140 देशों और 30 से अधिक अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने सम्मेलन में शामिल होने की पुष्टि कर दी है, जिनमें राज्याध्यक्ष, संगठनों के प्रमुख, मंत्री तथा कारोबारी क्षेत्र, शैक्षणिक और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं।’’ उप विदेशमंत्री ने बताया कि कार्यक्रम में शामिल होने के लिए 4000 से अधिक प्रतिनिधियों ने अपना पंजीकरण करवाया है।
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