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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका में हो रहे विश्व संस्कृति महोत्सव में वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए दुनिया को मिलकर लड़ने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और आर्थिक प्रगति जैसी बड़ी वैश्विक चुनौतियों से अलग रहकर प्रभावी रूप से नहीं निपटा जा सकता। इसलिए विश्व को एक साथ लाना और ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। इस महोत्सव का चौथा संस्करण अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन के ऐतिहासिक नेशनल मॉल में आयोजित किया जा रहा है। अगले तीन दिन में 100 से अधिक देशों के 10 लाख से अधिक लोगों के इस विशाल सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने और 180 से ज्यादा देशों के 17,000 से अधिक कलाकारों की प्रस्तुति देखने की संभावना है।
जयशंकर ने ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ को बधाई देते हुए कहा कि वह आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के मार्गदर्शन में ‘‘हम सभी को एक साथ लेकर आयी है।’’ उन्होंने कहा कि जब ‘‘मैं अपने आसपास देखता हूं’’ तो यह वैश्विक विचार और अंतरराष्ट्रीय समझ स्पष्ट होती है। उन्होंने कहा कि मानवता सही मायने में एक विविध समूह है और इसे संस्कृति, परंपरा, विरासत और पहचान के जरिए व्यक्त किया जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘जलवायु परिवर्तन, आर्थिक प्रगति या सामाजिक कल्याण जैसी बड़ी चुनौतियों से अलग रहकर प्रभावी तरीके से नहीं निपटा जा सकता।’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘दुनिया को एक साथ लाना और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। इस रुख के साथ भारत ने जी20 की अध्यक्षता की जिम्मेदारी संभाली और हमारी थीम : एक पृथ्वी, एक कुटुम्ब और एक भविष्य आज सांस्कृतिक रूप से हमारे सामने बहुत अच्छी तरह से प्रस्तुत है।’’ उन्होंने कहा कि दुनिया अधिक लोकतांत्रिक बन गयी है और उनके बीच परस्पर सम्मान आनुपातिक रूप से बढ़ गए हैं।
प्रौद्योगिकी ने सबको एक दूसरे के करीब आने का मौका दिया
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘वैश्वीकरण और प्रौद्योगिकी ने हमें बेहतर तरीके से एक-दूसरे को जानने में मदद की है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया का कोई हिस्सा, कोई व्यक्ति, कोई विचार प्रक्रिया, कोई संस्कृति आज दूर नहीं मानी जाती लेकिन चूंकि हमारा सामूहिक जीवन अधिक गहन हो गया है तो यह भी अधिक सामंजस्यपूर्ण और अधिक सहयोगात्मक होना चाहिए।’’ श्री श्री रविशंकर ने सभा को संबोधित करते हुए चुनौतियों का व्यावहारिक ढंग से सामना करने और बेहतर भविष्य का सपना देखने का आह्वान किया। उन्होंने आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा आयोजित विश्व संस्कृति महोत्सव में दिए अपने संबोधन में कहा, ‘‘आइए एक बार फिर मानवता की अच्छाई में अपने विश्वास की पुष्टि करें।
समाज में सद्भावना और अच्छा करने की चाहत बहुत है।’’ संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की मून ने कहा कि संस्कृति पुल बनाती है। उन्होंने कहा, ‘‘संस्कृति दीवारें तोड़ती है, संस्कृति संवाद और परस्पर समझ से दुनिया को एक साथ लाती है। संस्कृति लोगों तथा देशों के बीच एकता तथा सौहार्दता बढ़ाती है। संस्कृति सभी वैश्विक नागरिकों के बीच प्रभावशाली आदान-प्रदान पैदा कर सकती है।’ (भाषा)
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