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21वीं सदी में दुनिया में नया अवतार लेने वाला आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस (एआइ) ने जहां मानवों के कई काम आसान किए हैं तो इसके साथ ही उसके लिए कई बड़ी परेशानियां भी लेकर आया है। एआइ के उपयोग और दुरुपयोग से दुनिया भर में हड़कंप मचा है। एआइ का मौजूदा सबसे बड़ा दुरुपोग डीप फेक वीडियो और इमेज के तौर पर देखा जा रहा है। इसमें साइबर अपराधी किसी भी व्यक्ति की तस्वीर और वीडियो को अपनी मर्जी से इस तरह पुनः निर्मित कर देते हैं कि असली और नकली में पहचान करना बेहद मुश्किल हो जाता है। इसी तरह एआइ के दुरुपयोग को लेकर एक बड़ा खतरा यह भी है कि ये इंसानी दिमाग के भीतर झांक सकता है। अगर ऐसा है तो यह इंसानों के लिए सबसे बड़ा संकट है। सवाल यह भी है कि एआइ क्या इंसानी देखभाल की जगह भी ले सकता है। ऐसे ही तमाम सवालों और आशंकाओं को विशेषज्ञों ने दुनिया के सामने रखा है।
चैटजीपीटी का विकास करने वाली कंपनी ओपनएआइ के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सैम आल्टमैन ने बृहस्पतिवार को कहा कि कृत्रिम मेधा (एआइ) बहुत ही एडवांस प्रौद्योगिकी है। मगर यह एक-दूसरे के लिए इंसानी देखभाल की उस तरह जगह नहीं ले पाएगी। उन्होंने कहा कि जैसे कंप्यूटर शतरंज के खेल को खत्म नहीं कर पाया। उसी तरह एआइ भले ही इतना अधिक एडवांस है, लेकिन वह इंसानों की तरह देखभाल नहीं कर सकता। आल्टमैन ने यहां विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक में ‘अशांत दुनिया में प्रौद्योगिकी’ विषय पर आयोजित एक सत्र में कहा कि एआई की मौजूदा समय में बहुत सीमित क्षमता और बहुत बड़ी खामियों के बावजूद लोग इसका इस्तेमाल उत्पादकता एवं अन्य लाभ बढ़ाने के लिए करने के तरीके ढूंढ रहे हैं।
क्या मस्तिष्क के अंदर देखने में सक्षम होगा एआइ
सैम आल्टमैन ने कहा, ‘‘लोग उपकरणों की सीमाओं को कहीं अधिक समझते हैं। वह काफी हद तक यह समझते हैं कि इसका इस्तेमाल किस लिए करना चाहिए और किस लिए नहीं।’’ ओपनएआई के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि एआइ हमें अपना तर्क समझा पाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपकी सोच को जानने के लिए आपके मस्तिष्क में नहीं देख सकता, लेकिन मैं आपसे अपना तर्क समझाने के लिए कह सकता हूं। इसी तरह हमारे एआइ सिस्टम भी यह काम करने में सक्षम होंगे।’’ वह अपने तर्क से इंसानों को समझा सकते हैं। यानि इससे वह काफी हद तक इंसानी दिमाग पर नियंत्रण कर सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने एआइ प्रौद्योगिकी की जांच का भी स्वागत किया। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे जैसी कंपनियों के प्रति दुनिया की सामान्य घबराहट और बेचैनी को लेकर मेरे मन में बहुत सहानुभूति है। हमारी भी अपनी बेचैनी है। समाज और प्रौद्योगिकी को एक साथ विकसित होने दें।’ (भाषा)
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